2020 में 108 ने करीब 605 हार्टअटेक के पेशेंट को हॉस्पिटल पहुँचाया, बना नंबर वन

Akanksha
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इंदौर, 31 दिसम्बर 2020 : स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में कुछ साल पहले तक मध्यप्रदेश की पहचान बीमार राज्य के रूप में थी, लेकिन अब समय बदल चुका है। बात चाहे गंभीर बीमारियों की हो या दुर्घटनाओं की, सरकारी व्यवस्थाओं के चलते चंद मिनटों में पीड़ित को बेहतर से बेहतर इलाज देने की कोशिश की जा रही है। हादसे के वक्त मौके पर जाकर मरीज को मदद देने से लेकर अस्पताल में मौत को मात देने तक का काम पलक झपकते ही किया जा रहा है। यह काम उन सभी सेवाओं में सुधार करने पर हुआ है जो स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए की जा रही है। इन्हीं में से एक है जिकित्जा हेल्थ केयर लि. का इंटीग्रेटेड रैफरेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम, जिसमें एंबुलेंस, जननी एक्सप्रेस, और कॉल सेंटर का संचालन किया जा रहा है। कंपनी ने मध्यप्रदेश में अपनी सेवाओं के सफलतम् चार वर्ष पूरे कर लिए हैं और इन चार सालों में राज्य के 1,75,75,910 लोगों को आपातकालीन सेवाएं दी जा चुकी हैं। आज के समय में लोग अनियमित दिनचर्या, अस्वस्थ खान-पान और बढ़ते प्रदुषण के कारण कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाते है। कभी-कभी उन बीमारियों के लक्षण को हम पहचान नहीं पाते है और फिर हमें उसका गम्भीर परिणाम भी देखना पड़ता है। जिनमे मुख्य और गंभीर समस्या है हार्ट अटैक। जिसका समय पर इलाज ना हो तो मरीज का बचना मुश्किल हो जाता है। लेकिन शुक्र है कि 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा है।

108 एम्बुलेंस का संचालन करने वाली कंपनी जिकित्जा हेल्थ केयर लिमिटेड के प्रोजेक्ट हेड जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि जिकित्जा सेवा को बेहतर से बेहतर करने लिए हमारी पूरी टीम हमेशा प्रयासरत रहती है। हार्ट अटैक के मरीजों के लिए एक प्री-हॉस्पिटल केयर यानी आपातकालीन अस्पताल है जो कि निःशुल्क 108 एम्बुलेंस सेवा है। जीवनरक्षा हेतु इस आपातकालीन एम्बुलेंस में सभी मूलभूत उपकरण जैसे – ए ई डी मशीन, अम्बुबैग, ब्लड प्रेशर नापने हेतु उपकरण, एवं जीवन रक्षक ऑक्सीजन प्रदान करने की उपयुक्त व्यवस्था है। साथ ही आपातकालीन दवाईयां भी उपलब्ध है जिनका उपयोग प्रशिक्षित इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन (ई ऍम टी) विशेषज्ञ चिकित्सक के मार्गदर्शन में मरीज के उपचार एवं जीवन रक्षा हेतु किया जाता है।  साथ ही वर्ष 2020 में करीब 36076 लोगों  को जननी एक्सप्रेस के द्वारा हॉस्पिटल पहुँचाया गया जिसके के कारण उन्हें समय पर उचित उपचार मिल पाया l

उन्होंने आगे बताया कि 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से मरीज को जल्द से जल्द नजदीकी सरकारी अस्पताल में पहुँचाया जाता है। ताकि अस्पताल में उस मरीज का आगे का इलाज सुचारू रूप से किया जा सके।

जिकित्जा हेल्थ केयर लिमिटेड के द्वारा समय-समय पर लोगों के लिए जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जाते है। जागरूकता अभियान में प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ द्वारा आपातकालीन प्राथमिक उपचार के बारे में भी विस्तार से बताया जाता है।

इसके अंतर्गत प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ के द्वारा लोंगो को बताया जाता है कि प्लेटीनम 10 मिनीट और गोल्डन ऑवर यानी वो समय जब तक किसी गंभीर मरीज के पास एम्बुलेंस ना पहुंचे तब तक आप उसे प्राथमिक उपचार कैसे दें। निश्चित रूप से आम लोगों को हासिल होने वाली यह जानकारी किसी भी इंसान की जान बचा सकती है।

 

इस तरह के शिविर के द्वारा अभी तक हजारों लोगों को फायदा पहुंचा है। इंदौर जिले में 108 एम्बुलेंस के माध्यम से जनवरी 2020 के महीने में 71, फरवरी में 76, मार्च में 83, अप्रेल में 78, मई में 58, जून में 29, जुलाई में 31, अगस्त में 32, सितम्बर में 29, अक्टूबर में 32, नवम्बर में 36 और दिसम्बर में लगभग 50 मरीजों को (2020 पुरे साल में लगभग 605 मरीजों को )तत्काल सेवा देकर उचित समय पर अस्पताल पहुंचाया है। जिगित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड के द्वारा आने वाले समय में भी जागरूकता के लिए हर मजबूत कदम उठाए जाएंगे।

एक सामान्य व्यक्ति निम्नलिखित चिन्ह एवं लक्षण के द्वारा हार्ट अटैक के मरीज को पहचान सकता है :

1.    सीने में तीव्र दर्द होना एवं पीड़ित को बेचैनी होना।
2.    सीने में जकड़न के साथ भारीपन एवं श्वास लेने में परेशानी महसूस होना।
3.    सीने का दर्द गर्दन, बाये हाथ, जबड़े तथा पीठ की तरफ फैलना।
4.    मतली व उल्टी होना।
5.    चक्कर आना।
6.    तीव्र दर्द के कारण मल एवं मूत्र का स्वतः ही विसर्जित हो जाना।
7.    घबराहट होना।
8.    किसी को भी सिने में दर्द होता है तो वह हार्ट अटैक भी हो सकता है, इसलिए तुरंत चिकित्सक की सलाह लेवे।

हार्ट अटैक के मरीज को तुरंत ही निम्नलिखित प्राथमिक उपचार एम्बुलेंस के घटना स्थल तक पहुंचने तक प्रदान करें।
•    आश्वासन देना।
•    पीड़ित को आरामदायक अवस्था में बैठाना या लेटाना।
•    त्वरित ही १०८ सेवा को सूचित करना l
•    मरीज को कोई भी शारीरिक गतिविधि नहीं करने देना।
•    मरीज को अकेले नहीं छोड़ना है।
•    मरीज के तंग कपडे ढीले कर दे कर दे।
•    मरीज को कोई भी चीज खाने पिने के लिए न देवे।