पंजाब के साथ अन्य राज्यों में दिखा “रेल रोको आंदोलन” का प्रभाव

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ किसानो द्वारा दिल्ली की सीमाओ पर विरोध प्रदर्शन पिछले कई महीनों से जारी हैं, जिसमे मुख्यतः हरियाणा और पंजाब के किसानों ने हिस्सा लिया है। इस आंदोलन को चलते कई दिन हो गए हैं और अभी तक सरकार और किसान दोनों के बीच कुछ भी तय नहीं हुआ हैं, दरसल किसानो ने इस कानून को किसान विरोधी बताया हैं दूसरी ओर सरकार इन कानूनों को किसान हितेषी बता रही है, इसे लेकर विवाद जारी हैं। कृषि कानूनों के विवाद के बाद सरकार और किसानो के नेता के बीच कई बैठकें भी संपन्न हुई हैं जिनका कोई समाधान नहीं निकला है और इस बार किसान नेता ने कल यानि बुधवार को केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने रेल रोको आंदोलन का एलान किया था.

आज गुरुवार को दोपहर में इस “रेल रोको आंदोलन” के तहत चार घंटे का रेल रोको आंदोलन चलाने का ऐलान किया है, इस रेल रोको अभियान का प्रभाव पंजाब में सबसे ज्यादा देखा गया हैं, बता दें कि पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में किसान संगठनों ने रेल रोकी। इतना ही नहीं पंजाब में कई स्थानों पर रेलवे पटरी पर बैठकर किसान संगठन से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन किया है।

अन्य राज्यों में दिखा प्रभाव-
इस रेल रोको आंदोलन के तहत किसान संगठनों ने प्रदर्शन किया हैं, झारखंड के रांची और मेरण में भी किसान आंदोलन के समर्थकों ने रेल रोक कर अपना विरोध दर्ज कराया हैं। साथ ही पटना में भी कृषि कानूनों के विरोध में जनअधिकार पार्टी ने आंदोलन किया है और रेल रोकी है।

कल बुधवार के दिन दिल्ली की सीमा पर किसान आंदोलन के एक नेता ने इस रेल रोको आंदोलन का एलान किया था, लेकिन इस आंदोलन को लेकर भी सभी किसान संगठन सहमत नहीं है और कई किसान संगठनों ने रेल रोको अभियान को समर्थन नहीं किया है। कुछ किसानो ने बस सांकेतिक रूप से इसका समर्थन किया है।

याद दिला दें कि 26 जनवरी को दिल्ली में किसानो द्वारा निकाली गई ट्रेक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा से इस बार रेल रोको आंदोलन के लिए इस हिंसक मामले से सबक लेते हुए रेलवे प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है। वहीं सिंघु, टीकरी और अन्य संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा के प्रबंध बढ़ा दिए गए हैं।