सरकारी डेरी पर “दूध बंदी” का असर, यूपी में गाड़ी रोक लगाया जुरमाना

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में देश के कई राज्यों के किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं, इन कृषि कानूनों को लेकर देश के किसान केंद्र सरकार के विरोध में कई तरह के आंदोलन भी चलाये जा रहे है। इसी बीच इन कानूनों के विरोध में उत्तर प्रदेश के अमरोहा में किसानों ने एक और नए प्रकार का आंदोलन छेड़ा है। इस नए आंदोलन से अभी सरकार का तो पता नहीं लेकिन सरकारी डेरियो पर जरूर प्रभाव पड़ा है।

यूपी के अमरोहा के इन किसानो ने सरकार के खिलाफ इस आंदोलन में इस बार अपना हतियार दूध को बनाया है। ये आंदोलन है दूध का आंदोलन है और इसमें यहां लगभग आधा दर्जन किसानों ने सरकार को दूध ना बेचने का फैसला किया है, जिसके बाद इलाके की सरकारी दूध डेरियां सुनसान नजर आ रही है।

बता दे कि ये आंदोलन यूपी के अमरोहा जिले के रसूलपुर गांव में छेड़ा गया है, और इस आंदोलन के तहत गांव के किसानो ने सरकार को दूध न बेचने का फैसला किया है और डेरी पर दूध देना बंद कर दिया है। इस आंदोलन का प्रभाव इतना ज्यादा है कि गांव में आने वाली दूध की गाड़ियों पर भी धावा बोला जा रहा है। इस आंदोलन को लेकर किसानों का कहना है कि वो इन सामानो को दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानो तक भिजवाएंगे।

इस आंदोलन के बीच गांव में जब दूध लेकर आ रही एक गाड़ी पर 11 हजार रुपये का जुर्माना तो लगाया बल्कि किसानों से इस दूध गाड़ी के ड्राइवर को बंधक बनाने, गाड़ी के टायर पंचर करने की धमकी भी दी। ठीक इसी तरह का आंदोलन अन्य गांवो में भी ये आंदोलन चलाया जा रहा है, और किसानों से इसमें साथ देने की अपील भी की जा रही है।

हरियाणा में भी दिखा आंदोलन का प्रभाव-
सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ चलाये जा रहे इस आंदोलन का प्रभाव उत्तर प्रदेश से अलग हरियाणा में भी देखने को मिल रहा है। हरियाणा के जींद, हिसार और फतेहाबाद इलाके में किसानों के द्वारा मिल्क प्लांट को दूध दिया जाता है, लेकिन अब यहां भी दूध देना बंद कर दिया गया है।

आंदोलन के कारण प्लांट में आई दूध की कमी-
इस आंदोलन के चलते हरियाणा के किसानों की ओर से दूध 100 रुपये प्रति लीटर बेचने का ऐलान किया है, साथ ही चार गांवो के किसानो ने दूध का सप्लाई बंद कर दिया जिससे मिल्क प्लांट में करीब 17 हजार लीटर दूध की कमी आई है।