IMD Alert: पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का दिखेगा असर, इन 10 जिलों में बरसेंगे मेध

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देश में लगातार मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। जैसे कुछ हिस्सों में भारी बारिश का कहर जारी है तो कुछ में बर्फबारी, गुलाबी ठंड और इसके साथ साथ कुछ जिलों में कोहरा देखने को मिल रहा है। वही मध्य भारत सहित

छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। जिसकी वजह पश्चिमी विक्षोभ बन रहा है। वही सोमवार को मौसम वैज्ञानिकों ने एक बार फिर भीषण बारिश की इन राज्यों में चेतावनी जारी की है।

इन राज्यों में हो सकती है बारिश

देश के पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे कई राज्यों में मौसम विभाग ने बारिश होने की संभावना जाहिर की है। वही दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, तटीय कर्नाटक, लक्षद्वीप, रायलसीमा और असम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तमिलनाडु और केरल में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है और कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, जम्मू कश्मीर में बारिश और हिमपात की तीव्रता बढ़ सकती है। वही हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी बारिश देखने को मिल सकती है।

7 से 10 नवंबर के बीच मौसम का हाल 

7, 9 और 10 नवंबर को जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, गिलगित बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद के कई जगहों पर बारिश की संभावना जताई है। हिमाचल और उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में बर्फबारी और बारिश का भी अलर्ट जारी किया गया है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की भारी बारिश की संभावना है। 9 नवंबर के आसपास श्रीलंका तट से दूर दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बनने के बाद उत्तर-पश्चिम की ओर तमिलनाडु-पुडुचेरी तटों की ओर बढ़ने की संभावना है।

मौसम विभाग ने कहा कि तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल और केरल और माहे में भारी बारिश की संभावना है।वहीं दिल्ली का वायु प्रदूषण बेहद खराब से गंभीर श्रेणी में रहेगा। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी आने वाले दिनों में बारिश के आसार बन रहे है। तमिलनाडु में मानसून की सक्रियता की वजह से कर्नाटक, असम, अरुणाचल प्रदेश, केरल,आंध्रा और तेलंगाना में बारिश होने के आसार बने हुए हैं।

चलेगी पूर्वी हवाएं

एक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर और आसपास के क्षेत्र पर बना हुआ है और एक प्रेरित चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पाकिस्तान और इससे सटे पंजाब के हिस्से पर बना हुआ है। कम से कम अगले 2-3 दिनों तक पूर्वी हवाएं चलती रहेंगी। इसलिए खेत की आग से निकलने वाले धुएं का योगदान निचले स्तर पर रहेगा। लेकिन 9 नवंबर से एक बार फिर हवाएं अपनी दिशा बदलेंगी जिससे प्रदूषण और बढ़ेगा।

दो अहम कारक

बता दें, प्रदूषण को कम करने के लिए दो मौसम कारक महत्वपूर्ण हैं। सबसे पहले व्यापक वर्षा होती है जो प्रदूषकों को धोने में मदद करती है। दूसरी मध्यम से तेज हवाएं हैं जो आमतौर पर प्रदूषकों को तितर-बितर कर देती हैं। बीते दो दिन से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से मामूली राहत मिली है।