50वें IFFI समारोह के तहत आयोजित क विशेष मास्टरक्लास में दिग्गज संगीतकार इल्लयाराजा ने हिस्सा लिया. इस मास्टरक्लास को जाने-माने फ़िल्म निर्देशक आर. बाल्की ने मॉडरेट किया.
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच इस मशहूर संगीतकार ने मंच पर प्रवेश किया… दर्शकों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया. इसके बाद इल्लयाराजा ने अपनी बातों और अपने संगीत से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
इल्लयाराजा ने कहा, “संगीत में एक अद्भुत शक्ति होती है. बिना किसी भाव के किसी एक्टर का एक क्लोज़-अप डाल दीजिए. हम महज़ संगीत के साथ एक्सप्रेशन जोड़ सकते हैं… वो अपनी मां के बारे में सोच रहा होगा, वो अपने बचपन के बारे में सोच रहा होगा, अपने प्यार के बारे में… यह सभी भावनाएं महज़ संगीत के साथ जोड़े जा सकते है.”
अपनी कुछ फ़िल्मों के लिए इल्लयाराजा के साथ काम कर चुके बाल्की ने कहा, “उनका संगीत कालातीत है. कभी-कभी आप चाहते हैं कि आप ब्लैंक स्क्रीन पर उसका अनुभव करें.”
बाल्की ने उनके बारे में एक मिसाल देते हुए कहा, “हमारे बीच बस इसी बात को लेकर झगड़ा होता था कि वो किसी में बदलाव करना चाह रहे होते थे और मैं ऐसा नहीं चाहता था.” उन्होंने आगे कहा, “”संगीत की भाषा पूरे विश्व की भाषा होती है. हर स्कूल के पाठ्यक्रम में संगीत अनिवार्य रूप से होना चाहिए. अगर हो जाए, तो हमारे समाज में हिंसा कम हो जाएगी… शायद किसी तरह की हिंसा ही न बचे.”
दर्शकों के बीच बैठे एक शख़्स ने कहा इल्लयाराजा का संगीत आपको ख़ुश भी करता है और उदास भी क्योंकि आप अपने प्यार के बारे में सोचने लग जाते हैं. इसपर इल्लयराजा ने कहा, “संगीत का जुड़ाव अस्तित्व से है… यह किसी एक भावना के लिए नहीं बना है.”
उल्लेखनीय है कि इल्लयाराजा ने न सिर्फ़ लाइव ऑडियंस के सामने कम्पोज़ किया, बल्कि उन्होंने सभी को अपनी धुन पर थिरकने के लिए मजबूर भी कर दिया.
IFFI की स्वर्ण जयंती समारोह की यह शाम बेहद हसीन और यादगार शाम साबित हुई.