इंदौर : आईआईएम इंदौर द्वारा की जारी की गई रिपोर्ट में चिकनकारी को बढ़ावा देने, कारीगरों को सशक्त बनाने और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के दिए समाधान
आईआईएम इंदौर ने राष्ट्रीय विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के तहत एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिला प्रशासन लखनऊ के सहयोग से, आईआईएम इंदौर ने विशेष रूप से चिकनकारी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को और भी विकसित करने के लिए एक और प्रयास किया है।
आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमाँशु राय के नेतृत्व में प्रो. भवानी शंकर और श्री नवीन कृष्ण राय की टीम ने लखनऊ में एक रिपोर्ट का अनावरण 09 दिसम्बर 2023 को किया। रिपोर्ट में जिले के भीतर चिकनकारी के समग्र विकास पर चर्चा की गयी है जिसमें इस क्षेत्र में प्रगति को दर्शाया गया है। इसमें कलाकारों, कारीगरों, महिला उद्यमियों के लिए आय में पर्याप्त वृद्धि और कई रोजगार के अवसरों के निर्माण पर जोर दिया गया है।
जुलाई 2023 और दिसंबर 2023 के बीच किए गए इस शोध में जटिल उत्पादन प्रक्रियाओं और चिकनकारी में शामिल हितधारकों के विविध अनुभवों पर प्रकाश डाला गया है। प्रो. राय ने कहा, “यह रिपोर्ट चिकनकारी की सफलता और विकास में योगदान देने में कलाकारों, कारीगरों, मशीनरी विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।” उन्होंने चिकनकारी से जुड़ी कलाकृतियों और हस्तशिल्प को एक एक साथ पंजीकृत करने की सिफारिश की जो कारीगरों को सशक्त बनाता है और सरकार के समक्ष उनके एकीकृत प्रतिनिधित्व की सुविधा प्रदान करता है। इससे कारीगरों और संगठनों के विभिन्न समूहों के बीच सूचना विषमता भी कम होगी।
प्रो. राय ने चिकनकारी पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा की, और विभिन्न हितधारकों की व्यापक भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने जिले के भीतर आय और रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि में उनके समर्पण को महत्वपूर्ण बताते हुए उनके प्रयासों की समग्र मान्यता की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने हस्तनिर्मित शिल्प कौशल की विरासत को संरक्षित करने की दिशा में रिपोर्ट को परिवर्तनकारी कदम बताया। प्रो. राय ने इन कृतियों के पीछे कारीगरों की कहानियों को सभी तक पहुँचाने के लिए ठोस प्रयासों का आग्रह किया, जिसका उद्देश्य पारंपरिक हस्तनिर्मित काम और मशीनीकृत उत्पादन के बीच की खाई को पाटना है। अंततः इससे चिकनकारी कलात्मकता को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने “कारीगर” के स्थान पर “कलाकार” शब्द के प्रयोग पर भी जोर दिया।
सूचना शिक्षा और संचार (आईईसी) रणनीतियों के संबंध में, प्रो. राय ने स्वच्छ भारत मिशन में समान दृष्टिकोण के माध्यम से प्राप्त सफलता पर जोर दिया। उन्होंने विशेष रूप से चिकनकारी के लिए एक समान अनुरूप रूपरेखा का प्रस्ताव रखा, जिसका उद्देश्य व्यापक आबादी तक इसकी जटिलताओं के बारे में जानकारी प्रसारित करना था। “हस्तनिर्मित और मशीन-निर्मित उत्पादों के बीच अंतर को उजागर करना महत्वपूर्ण है,” उन्होंने कहा।
लखनऊ प्रशासन ने चिकनकारी क्षेत्र के भीतर अक्सर अनदेखी की गई बारीकियों को उजागर करने में व्यापक इस रिसर्च के महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करते हुए, आईआईएम इंदौर की प्रशंसा की। लखनऊ के डीएम सूर्यपाल गंगवार ने रिपोर्ट की सराहना की और अक्सर नज़रंदाज़ कर दी गई जटिलताओं को उजागर करने में इसकी भूमिका पर जोर दिया। कम समय सीमा में किए गए आईआईएम इंदौर के उल्लेखनीय रिसर्च के लिए हार्दिक बधाई व्यक्त करते हुए, प्रशासन ने कहा कि रिपोर्ट रणनीतियों और समाधानों को आकार देगी।
विभाग ने आईआईएम इंदौर से निरंतर सहयोग के लिए आशा व्यक्त की, और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आईआईएम इंदौर रिपोर्ट की अंतर्दृष्टि के आधार पर जिले के विकासात्मक प्रयासों को और बढ़ाने के लिए निरंतर सलाहकार सहायता प्रदान करेगा। आईआईएम इंदौर का लक्ष्य अब रिपोर्ट का हिंदी अनुवाद पेश करके जन-जन तक पहुँचाने का है, जिससे सभी को निष्कर्षों की समझ सुनिश्चित हो सके।