आईआईएम इंदौर के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, अन्वेषण के पहले बैच का हुआ उद्घाटन

ashish_ghamasan
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इंदौर। आईआईएम इंदौर ने अपशिष्ट प्रबंधन और वॉश (वॉटर, सैनिटेशन और हाइजीन – जल, स्वच्छता और सफाई) पर केन्द्रित सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस, अन्वेषण के पहले बैच की शुरुआत 31 जुलाई, 2023 को की। प्रो. हिमाँशु राय, निदेशक, आईआईएम इंदौर ने बैच का उद्घाटन किया। इस अवसर पर इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव विशेष अतिथि रहे।

अपने वक्तव्य में प्रो.हिमाँशु राय ने “जनभागीदारी” के महत्व पर जोर दिया और कहा कि सहयोगात्मक भागीदारी के माध्यम से इंदौर को देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में अपना स्थान बनाए रखने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि सफलता की कुंजी सहयोग में निहित है और प्रतिभागियों से हंसों से सीखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “जब हंस त्रिकोण बनाकर उड़ते हैं, तो प्रमुख हँस अपनी ऊर्जा बचाने के लिए बारी-बारी से आगे उड़ते हैं। यह एक-दूसरे की ताकत पर भरोसा करने और जरूरत पड़ने पर प्रोत्साहन प्रदान करने के महत्व पर प्रकाश डालता है।” प्रो. राय ने अनुभव और सीखने के प्रति खुलेपन और ज्ञान और बुद्धिमत्ता के बीच अंतर करने के महत्व को रेखांकित किया।

“नए विचारों और अनुभवों के प्रति ग्रहणशील रहें, क्योंकि सच्चा ज्ञान खुले दिमाग से आता है। जब आप सभी आईआईएम इंदौर में इस पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं, तो आप देश के अन्य हिस्सों में की गई नई पहल और प्रथाओं के बारे में सीख सकते हैं और इसे अपने शहर में लागू कर सकते हैं”, उन्होंने कहा। प्रो. राय ने सभी को आत्मनिरीक्षण के लिए भी प्रेरित किया और उनसे सफलता की तुलना अन्य शहरों से करने के बजाय अपने शब्दों में परिभाषित करने का आग्रह किया। हालाँकि आप हर किसी से सीखते हैं, लेकिन उनसे प्रतिस्पर्धा न करें। अपनी सफलता को फिर से परिभाषित करें और विश्लेषण करें कि आप अपने शहर में योगदान देने में पिछले वर्ष से कितना आगे आए हैं। उन्होंने बैच को राष्ट्र-निर्माण में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, “आइए हम मिलकर एक ऐसी संस्कृति बनाएं करें जहां हर कोई एक स्वस्थ, स्वच्छ और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करे।”

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने आईआईएम इंदौर के कार्यक्रम और इस पहल की सराहना की और देश भर में हो रहे अच्छे कार्यों को एक साथ जोड़ने में इसके महत्व पर चर्चा की। अहिल्या नगरी में सभी का स्वागत किया और नगर निकायों की प्रगति को लेकर सरकार की बढ़ती चिंता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “आज से कुछ समय पहले तक, शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) का निर्माण मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे, शिक्षा, औद्योगिकीकरण और संसाधन प्रबंधन पर ही केन्द्रित था, लेकिन स्वच्छ भारत मिशन से इस मानसिकता में बदलाव आया है।” उन्होंने स्वच्छता और विकास में इंदौर की सफलता का उदाहरण देते हुए विचार प्रक्रिया में बदलाव की सराहना की। “इंदौर, जो कभी 47वें स्थान पर था, अब छह साल से लगातार स्वच्छता में शीर्ष स्थान पर है। यह सब व्यवहार परिवर्तन के कारण ही संभव हुआ है। अपने शहर के बारे में लोगों के सोचने के तरीके में यह बदलाव नागरिकों को नियमों का पालन करने और योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करने में सहायक रहा है”, उन्होंने कहा। उन्होंने शहरों के बीच ज्ञान साझा करने और समझ को बढ़ावा देने के अन्वेषण के मिशन में अपना विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का हिस्सा बनने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कार्यक्रम के दौरान हुई चर्चाओं से बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्राप्त होगी। उन्होंने कार्यक्रम आयोजित करने और सभी प्रशासकों और नीति निर्माताओं को एक साथ लाने के लिए प्रो. हिमाँशु राय को धन्यवाद दिया, क्योंकि पाठ्यक्रम के दौरान होने वाली चर्चा शहर के विकास में भी योगदान देगी।

प्रो. सुबिन सुधीर, चेयर, एग्जीक्यूटिव एजुकेशन, आईआईएम इंदौर ने भी बैच का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “हमें अन्वेषण के पहले बैच का उद्घाटन करते हुए और अपने प्रबंधकों को अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता मानकों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करते हुए खुशी हो रही है।” सहयोग, नवाचार और अत्याधुनिक सीखने के अनुभवों को बढ़ावा दे कर एक स्वच्छ, हरा-भरा और अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने के लिए अन्वेषण तैयार है।

अन्वेषण के पहले बैच में नगर आयुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित 26 अधिकारी शामिल हैं। ये अधिकारी 14 विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें गुजरात, सिक्किम, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, केरल, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा, असम, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली और त्रिपुरा शामिल हैं। अन्वेषण की शुरुआत समुदायों और क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता प्रथाओं को आगे बढ़ाने के प्रति इन अधिकारियों समर्पण को दर्शाता है। चार दिवसीय कार्यक्रम के दौरान, अधिकारियों को आईआईएम इंदौर के फैकल्टी, फॉरेन पार्टनर यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों, जीआईजेड इंडिया के विशेषज्ञों और साथ ही अन्य नगर निगमों के अधिकारियों के साथ बातचीत करने का अवसर मिलेगा। कार्यक्रम में अपशिष्ट से धन परिवर्तन में व्यावहारिक अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों का दौरा भी शामिल होगा।

कार्यक्रम विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों को सम्मिलित कर एक व्यापक शिक्षण अनुभव प्रदान करता है। इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए केंद्रीकृत प्रणाली, अपशिष्ट जल प्रबंधन, अपशिष्ट से ऊर्जा और अपशिष्ट से बायो-मेथेनेशन जैसे अपशिष्ट प्रबंधन पहलू शामिल हैं। इसके अलावा, कार्यक्रम में व्यवहार परिवर्तन और सामुदायिक भागीदारी पर सत्र भी शामिल हैं, जो पर्यावरणीय पहल में मानव व्यवहार के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। प्रतिभागियों को अपशिष्ट संग्रहण अभ्यास में आधुनिक प्रौद्योगिकियों में अंतर्दृष्टि प्राप्त होगी, जो दक्षता और स्थिरता को बढ़ा सकती है। अन्य प्रमुख विषयों में नेतृत्व और संचार, इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग, पॉलिसी लैंडस्केप, ग्रीन क्रेडिट और कार्बन क्रेडिट और सार्वजनिक निजी भागीदारी शामिल हैं। इस विविध पाठ्यक्रम का उद्देश्य उपस्थित अधिकारियों को समग्र समझ से लैस करना, उन्हें अपने संबंधित क्षेत्रों में स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन और WASH पहल चलाने के लिए सशक्त बनाना है। यह चर्चा ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगी और प्रतिभागियों को स्थिरता पर सकारात्मक प्रभाव डालने, सभी के लिए स्वच्छ और हरित भविष्य को बढ़ावा देने के लिए सशक्त बनाएगी।

अन्वेषण में विशेषज्ञता को अधिकतम करने के लिए एक सहयोगात्मक प्रयास में, आईआईएम इंदौर ने पांच प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ साझेदारी की है, जिनमें डेनवर विश्वविद्यालय, रटगर्स विश्वविद्यालय, ग्लासगो विश्वविद्यालय, लिवरपूल विश्वविद्यालय और बोकोनी विश्वविद्यालय शामिल हैं। इस वैश्विक तालमेल का उद्देश्य इंदौर स्वच्छता मॉडल को बढ़ाना और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए स्थायी समाधान विकसित करना है।

उद्घाटन के दौरान, अन्वेषण फिल्म का भी अनावरण किया गया। यह फिल्म अन्वेषण के मूल मूल्यों और केंद्र बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करती है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) से 19.95 करोड़ रुपये का के अनुदान प्राप्त करने के साथ ही अन्वेषण भारत में स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता मानकों पर स्थायी प्रभाव डालने के लिए तैयार है। आईआईएम इंदौर में अन्वेषण का अत्याधुनिक कॉम्प्लेक्स है। इसमें उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक कार्यक्रमों और ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधा के लिए सिंक्रोनस और एसिंक्रोनस प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित उन्नत स्टूडियो हैं। आधुनिक डिज़ाइन संकाय, कर्मचारियों और प्रतिभागियों के बीच सहयोग और सार्थक चर्चा को प्रोत्साहित करती है। अन्वेषण की पहली बैच के शुरुआत से आईआईएम इंदौर एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत और उससे आगे के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।