पहले कार्यक्रम में आईआईएम इंदौर समुदाय योग सत्र में शामिल हुआ।आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रोफेसर हिमाँशु राय ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।समुदाय सदस्यों को योग का महत्त्व समझाते हुए प्रो. राय ने कहा कि किसी भी काम को कुशलता से करना योग है, और ऐसाकरनेसे व्यक्ति स्वतः योगी बन जाता है।“ अक्सर हम योग को मात्र आसन और प्राणायाम तक सीमित कर देते हैं लेकिन अष्टांग योग यम, नियम, आसन प्राणायाम की बात करता है। जितना भी हम इसमें निपुण होते हैं, उतना ही हम प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि में भी बेहतर हो जाते हैं”, उन्होंनेकहा। प्रो. रायनेअहिंसा, सत्य, अस्तेय (अचौर्य), अपरिग्रह (अनासक्ति) और ब्रह्मचर्य (ऊर्जा संरक्षण) नामक 5 नियमों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने योग के 5 नियम शौच (शारीरिक और आध्यात्मिक स्वच्छता), संतोष, तप (कड़ी मेहनत), स्वाध्याय (स्व-शिक्षा), और ईश्वर प्रणिधान (ब्रह्मांडीय चेतना से जुड़ना)भी समझाए। “हमें ब्रह्मांड के साथ अपने संबंधों की पहचान करने की आवश्यकता है; तभीहम इस दुनिया की बेहतरी में अपना योगदान दे पाएंगे। आपअपने माता-पिता, भाई-बहन, सहकर्मियों आदि के साथ अपने संबंधों को समझ तेहैं। इसी तरह, जिस दिन आप वायु, जल, जमीन, पर्यावरण के साथ अपने जुड़ावको समग्र रूप से समझेंगे, आप अपने जीवन के उद्देश्य की पहचान करने में सक्षम होंगे” उन्होंनेकहा।
योग सत्र का सञ्चालन आकाश बोरसी एवं हिमानी शर्मा ने किया।उन्होंनेआईआईएम इंदौर समुदाय के सदस्यों को विभिन्न आसन करने के लिए निर्देशित किया और उन्हें अपने जीवन में योग के महत्व को समझने में मदद की।दूसरे कार्यक्रम में 01सितंबर, 2022 से2 8फरवरी, 2023 तक आईआईएम इंदौर में आयोजित संस्कृत भाषा कार्यशाला के लिए प्रमाणपत्र वितरण समारोह आयोजित किया गया।इस छह महीने की यात्रा ने प्रतिभागियों को राष्ट्र की प्राचीन संस्कृति, सभ्यता, रीति-रिवाजों औरराष्ट्र निर्माण में भाषाई योगदान की गहरी समझ हासिल करने में सक्षम बनाया।प्रो.हिमाँशु राय ने नौ प्रतिभागियों को उनके उल्लेखनीय समर्पण और कार्यशाला के सफल समापन के लिए प्रमाणपत्र प्रदान किए।