IIM इंदौर ने मध्य प्रदेश तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार विभाग और कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग विभाग के साथ किया सहयोग

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मध्य प्रदेश के विकास और प्रगति में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध आईआईएम इंदौर ने दो समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है। पहला समझौता ज्ञापन तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार विभाग के साथ हस्ताक्षरित किया गया, जबकि दूसरा समझौता ज्ञापन मध्य प्रदेश सरकार के कुटीर और ग्रामीण उद्योग विभाग के साथ हुआ। समझौता ज्ञापन पर आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमाँशु राय और मध्य प्रदेश तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार विभाग और कुटीर और ग्रामीण उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव  मनु श्रीवास्तव ने हस्ताक्षर किए। तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार विभाग के साथ समझौता ज्ञापन मध्य प्रदेश राज्य में कौशल विकास और शिक्षा विकसित करने पर केंद्रित है।

प्रो. राय ने कहा, “इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से, हमारा लक्ष्य प्रबंधन शिक्षा और अनुसन्धान के माध्यम से विद्यार्थियों, शिक्षकों और संस्थानों को सशक्त बनाने का है। “सहयोग में एक वर्षीय स्नातकोत्तर प्रमाणपत्र पाठ्यक्रमों का विकास, विशेष प्रबंधन पाठ्यक्रम और राज्य सरकार के कॉलेजों में प्रशिक्षण और प्लेसमेंट के लिए मार्गदर्शन शामिल है। उन्होंने कहा, “यह साझेदारी बेहतर प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए आईआईएम इंदौर द्वारा एक सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) का अधिग्रहण करने का भी प्रयास करेगी।”

कुटीर और ग्रामीण उद्योग विभाग के साथ दूसरे सहयोग के अंतर्गतआईआईएम इंदौर का लक्ष्य मध्य प्रदेश में हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र को बढ़ावा देना है। प्रो. राय ने सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा, “हमारा लक्ष्य अपनी विशेषता का प्रयोग कर हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित और विकसित करना है।” सहयोग में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट विकसित करना, व्यापक अध्ययन करना, भौगोलिक संकेत (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन – जीआई) पर मार्गदर्शन प्रदान करना और कारीगरों और शिल्पकारों को वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण प्रदान करना शामिल है। उन्होंने कहा, “उत्पादकों और कारीगरों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए उत्पाद की गुणवत्ता, मार्केटिंग, ब्रांडिंग और सेल्स को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।”

मनु श्रीवास्तव ने सहयोग के लिए उत्साह व्यक्त किया और कौशल विकास, शिक्षा और हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग पर उनके संभावित प्रभाव पर चर्चा की। तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग के साथ एमओयू के संबंध में उन्होंने राज्य में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता और प्रासंगिकता बढ़ाने में इसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “आईआईएम इंदौर के समर्थन और मार्गदर्शन से संस्थानों और कॉलेजों को बहुत फायदा होगा, जिससे मार्गदर्शन, नेतृत्व विकास और प्रबंधकीय प्रशिक्षण मिल सकेगा।” श्रीवास्तव ने एमओयू के तहत विभिन्न सहयोगी पहलों का भी उल्लेख किया, जिसमें सोशल इंटर्नशिप, लीडरशिप प्रोग्राम, फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम, संसाधन अंतर विश्लेषण, सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाएं स्थापित करना और अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए प्रबंधकीय प्रशिक्षण शामिल हैं।

कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग विभाग के साथ एमओयू के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह साझेदारी मध्य प्रदेश में कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग क्षेत्र के विकास और उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आईआईएम इंदौर के ज्ञान और अनुभव की सराहना की और कहा कि दोनों संस्थान मिलकर चुनौतियों का समाधान करेंगे, अवसरों की पहचान करेंगे और कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक स्थायी और संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करेंगे।

ये सहयोग आईआईएम इंदौर की उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता और राज्य में सकारात्मक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक बनने के मिशन को दर्शाते हैं। समझौता ज्ञापन तीन साल की अवधि के लिए वैध हैं, जिसके दौरान आईआईएम इंदौर और संबंधित विभाग उल्लिखित गतिविधियों को लागू करने और पारस्परिक लाभ के लिए अतिरिक्त सहयोगी अवसरों का पता लगाने के लिए मिलकर काम करेंगे। इन साझेदारियों का उद्देश्य कौशल विकास, शिक्षा और हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र की वृद्धि के लिए अवसर तलाशना है, जिससे अंततः युवाओं, कारीगरों, शिल्पकारों और राज्य की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।