आईआईएम इंदौर में मनाया गया हिंदी दिवस, प्रो. हिमाँशु राय ने किया कार्यक्रम का उद्घाटन

RitikRajput
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भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर (आईआईएम इंदौर) में 14 सितंबर, 2023 को हिंदी दिवस मनाया गया। संस्थान के निदेशक, प्रो. हिमाँशु राय ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। भारतीय जनसंचार संस्थान में पत्रकारिता के प्रोफेसर और भारतीय भाषा (हिंदी) पत्रकारिता के पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. आनंद प्रधान इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे।

एक राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को आकार देने में भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में चर्चा करते हुए प्रो. राय ने भाषा, संस्कृति और सभ्यता के बीच गहरे संबंध को समझने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जिस तरह संस्कृति और सभ्यता, भाषा से पोषित होती हैं, उसी तरह एक भाषा के रूप में हिंदी भी हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने “विद्या” (ज्ञान) और “अविद्या” (अज्ञान) के बीच अंतर को रेखांकित किया, और कहा कि शिक्षा में न केवल ज्ञान प्राप्त करना शामिल है बल्कि यह समझना भी शामिल है कि कौन सा ज्ञान आवश्यक है। “हमने अपना बचपन भारतीय ग्रंथों की मंत्रमुग्ध कर देने वाली कहानियाँ सुनते हुए बिताया है।

अब यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि हम आज भी उनमें निहित ज्ञान की संपदा का पता लगाएं और उसे संजोकर रखें”, उन्होंने कहा। क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने सभी भारतीय भाषाओं में निहित साहित्य और ज्ञान के खजाने के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा, “हमारी अपनी मां की तरह, हमारी मातृभाषा होने के नाते, हिंदी भी हमारे सम्मान और देखभाल की हकदार है, क्योंकि यह हमारा पालन-पोषण करती है और हमें वह बनाती है जो हम हैं।” उन्होंने सभी सदस्यों को न केवल हिंदी बल्कि हमारी सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत को विस्तारित करने वाली सभी भाषाओं की सुरक्षा में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया।

प्रो. आनंद प्रधान ने हिंदी भाषा और इसके सांस्कृतिक महत्व को बढ़ावा देने में आईआईएम इंदौर के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, “मैं यह जानकार अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ कि प्रो. हिमाँशु राय के नेतृत्व में आईआईएम इंदौर न केवल हिंदी, बल्कि सभी भारतीय भाषाओं को संरक्षित और बढ़ावा देने की विरासत को रचनात्मकता और साहित्यिक गतिविधियों से आगे बढ़ा रहा है।”उन्होंने भारत की विविध पहचान को आकार देने और सभी भारतवासियों के बीच एकता को बढ़ावा देने में भाषाओं, विशेषकर हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। भारत को अपनी अनेक भाषाओं, संस्कृतियों और क्षेत्रों के साथ, 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने पर एक अनोखी चुनौती का सामना करना पड़ा। कई राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना था कि भारत अपने में समाहित अनेक ‘राष्ट्रों’, विविध संस्कृतियों और अनेक भाषाओं के कारण एकीकृत नहीं रह पाएगा।

लेकिन इन सभी चुनौतियों के बावजूद भारत एक राष्ट्र बनकर प्रगति करता रहा। प्रो. प्रधान ने भाषाओं के बीच सहजीवी संबंध पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि वे एक-दूसरे से सीखती हैं। उन्होंने हिंदी को समृद्ध बनाने में स्थानीय भाषाओं, विशेषकर मराठी की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने कहा, हमारी हिंदी भाषा एक बहती नदी की तरह है और विभिन्न भाषाओं के नए शब्द ताजा सहायक नदियों की तरह हैं, जो हिंदी भाषा की शब्दावली को समृद्ध करते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हिंदी, अपनी बढ़ती तकनीकी और प्रबंधकीय शब्दावली के साथ, आधुनिक दुनिया में और भी समृद्ध और अधिक जीवंत बनेगी। प्रिंट पत्रकारिता पर टिपण्णी कर उन्होंने बताया कि पूरे देश में भौगोलिक, सांस्कृतिक और भाषाई अंतर को पाटने में प्रेस सहायक रही है। भारत की महानता इसकी एकता, साझा मूल्यों, नैतिकता, संस्कृति और देशभक्ति और राष्ट्रवाद की गहरी भावना में निहित है जो भाषाओं और सीमाओं से परे है, उन्होंने कहा।

इस अवसर पर संस्थान की वार्षिक हिंदी पत्रिका “ज्ञान शिखर” का विमोचन भी हुआ। इस पत्रिका में आईआईएम इंदौर समुदाय के सदस्यों द्वारा रचित लेख और कविताएँ शामिल हैं। आईआईएम इंदौर में हिंदी पखवाड़ा भी मनाया गया, जिसके अंतर्गत दो प्रतियोगिताएं, “चित्र कहानी लेखन” और “अंताक्षरी” आयोजित की गईं। इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी दिया गया।

संस्थान में आयोजित स्वच्छता पखवाड़े का समापन भी हुआ, जिसमें आईआईएम इंदौर के समुदाय ने स्वच्छता और साफ-सफाई के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए बड़े पैमाने पर परिसर की सफाई के लिए स्वेच्छा से हाथ आगे बढाया। कार्यक्रम का समापन जलपान के साथ हुआ।