हैं तो नहीं… मान रहे हैं मुख्यमंत्री !

Akanksha
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जब से ज्योति सिंधिया ने कांग्रेस की बत्ती बुझाकर भाजपा की चिमनी में तेल डालकर सत्ता दिलाई है, तब से ही ये कहा जा रहा है कि आज नहीं तो कल सिंधिया वल्लभ भवन की पांचवीं मंजिल पर बने सबसे बड़े कक्ष में बैठेंगे।  इस बात को लेकर अलग-अलग समय अलग-अलग कवायदें चलती रहती हैं। जब तक सिंधिया केंद्रीय मंत्री नहीं बने थे, तब तक बात कम होती थी, लेकिन अब मंत्री बनने के बाद कहा जाने लगा है कि क्या भाजपा अगला चुनाव सिंधिया के चेहरे पर लड़ेगी।

शिवराजसिंह को हटाने के लिए उनके विरोधी लगे रहते हैं, लेकिन शिवराज भी चुप रहकर कमाल दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। जैसे ही विरोधी मुहिम चलाते हैं, तो शिवराज दिल्ली जाकर बड़े नेताओं के साथ मुस्कान छोड़ता हुआ फोटो सार्वजनिक कर देते हैं। इसके बाद उनको हटाने की बात बंद हो जाती है। विष्णुदत्त शर्मा, प्रहलाद पटेल के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने के बाद शिवराजसिंह चौहान ने पिछड़ों को सत्ताईस फीसद आरक्षण देने को लेकर सक्रिय हो गए हैं।

जहां भी जाते हैं उनके प्रयासों को बताने में कसर नहीं छोड़ते। अब हम फिर बताते हैं कि आखिर ज्योति सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने की बात क्यों चल रही है, क्योंकि इस बार शिवराज विरोधियों ने दिल्ली हाईकमान को बता दिया है कि शिवराज के चेहरे पर अगला चुनाव नहीं जीता जा सकता, इसलिए बदलाव जरूरी है।

भले ही किसी को भी मुख्यमंत्री बना दो, लेकिन अब शिवराज नहीं चल पाएंगे। जिस तरह से सिंधिया की यात्रा के दौरान इंदौर से लेकर देवास, शाजापुर, खरगोन के बड़े प्रशासनिक और पुलिस अफसरों ने जिस तरह से सिंधिया को प्रोटोकॉल दिया, वो भी किसी मुख्यमंत्री के ओहदे से कम नहीं था।

राजेश राठौर