‘अगर मजबूर किया तो छोड़ देंगे भारत’, दिल्ली हाईकोर्ट में WhatsApp ने क्यों कहीं यह बात?

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दिल्ली हाई कोर्ट ने वॉट्सऐप के खिलाफ दायर हुई याचिका पर सुनवाई की। बता दें कि WhatsApp पर आईटी नियमों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान व्हाट्सएप ने दिल्ली हाई कोर्ट में एन्क्रिप्शन हटाने से इनकार कर दिया है और कहा है कि अगर उसे एन्क्रिप्शन हटाने के लिए कहा गया तो वह भारत छोड़ देगा।

इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट में व्हाट्सएप की ओर से पेश वकील तेजस करिया ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ से कहा कि एक मंच के रूप में हम कह रहे हैं कि अगर हमसे एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए कहा जाता है। अगर ये चला गया तो व्हाट्सएप चला जाएगा। तेजस करिया ने कहा कि लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल सिर्फ उसके प्राइवेसी फीचर की वजह से करते हैं, जो कंपनी ने मुहैया कराया है।

वकील करिया ने कहा, ”दुनिया में कहीं और ऐसा नियम नहीं है।” ब्राज़ील में भी नहीं, हमें पूरी श्रृंखला रखनी होगी और हमें नहीं पता कि हमें कौन से संदेशों को डिक्रिप्ट करने के लिए कहा जाएगा। इसका मतलब है कि लाखों संदेशों को कई वर्षों तक संग्रहीत करना होगा।

व्हाट्सएप ने तर्क दिया है कि इस नियम के तहत एन्क्रिप्शन के साथ-साथ यूजर्स की प्राइवेसी भी खतरे में पड़ सकती है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत उपयोगकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।

’14 अगस्त को होगी अगली सुनवाई’

इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील कीर्तिमान सिंह ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा जैसे मामलों में प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक सामग्री फैलाए जाने पर यह नियम महत्वपूर्ण है। हालांकि, इस मामले में पीठ ने मामले को 14 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।