अपनी जुबान पर काबू रखो ममता, बंगाल में दिखाओ थोड़ी समता। बंगाल को जलने की परिकल्पना तुम्हारी राजनैतिक है, वहां विरोधियों पर नित्य हो रही वारदातें अनैतिक है, खुद ही कह देती हो बंगाल जला तो यूपी, बिहार, आसाम भी जलेगा। तुम्हारी गुंडागिर्दी मची तो क्या प्रशासन भजिये तलेगा। आग मोदी की कुर्सी तक पहुँचाओगी, दिल्ली की सरकार को हिलाओगी। ये तो तुम्हारे सरासर धमकी भरे बयान है, पूर्व में भी तुम इसी तरह बर्ताव करती रही ये सबको ध्यान है। क्या पश्चिम बंगाल अब सिर्फ तुम्हारी ही विरासत है…हर परगना को हासिल करती ये कैसी सियासत है। अपनी तल्ख जुबान से तुम तानाशाही की भाषा बोलती हो, तुम्हारे विरोधी दल के नेताओं को कोसते कोसते मंच पर इधर उधर डोलती हो। चुनाव आते ही व्हील चेयर की सहानुभूति का तो ख्याल रहता है, पर जो कुर्सी पर बिठाकर तुम्हारा अभिवादन करते हैं उन्हीं से मलाल रहता है। पहले ही घुसपैठ का विराट दंश मुल्क भोग रहा है। वो ही तुम्हारे मतदाता बन गए अधिकार पाकर ये तुमको सहयोग रहा है। मतदाता धीरे धीरे कार्यकर्ता बनकर क्रूर हो जाते हैं, वहीं बस प्रजातंत्र के अरमान चकनाचूर हो जाते हैं। तुमने दिल्ली की कुर्सी हिलाने की बात क्यों कही ये जगजाहिर है। राष्ट्रपति शासन की सुगबुगाहट को धमकी देने वाली राजनीति में माहिर है। पहली बार भारत की प्रथम नागरिक ने गहरी वेदना वाला बयान दिया। नारी जाति के भयभीत होने वाली बात का शीर्ष पद पर संज्ञान लिया। तुम बौखला गई उधर इस चिंता के अपने स्वार्थी चिंतन से। नौटंकीबाज रहती आई हो तुम इतिहास में चिरंतन से। सुभाषचन्द्र बोस और रवीन्द्रनाथ टैगोर की कर्मस्थली का तो थोड़ा विचार करो। राष्ट्रवाद के जनक जहां जन्में वहां सामंतवादी सोच का मत प्रचार करो। वंदेमातरम को देने वाला बंगाल यदि आज मातृभूमि की वंदना को तरस रहा है तो कारण आप हैं। क्रांति की अलख जगाने वाले प्रान्त में अशांति की बेलगाम वाणी सबसे बड़ा संताप है। मोदी को कोसने से कहीं तुम प्रधानमंत्री नहीं बन जाओगी। हरकतों से बाज नहीं आओगी तो अपनी ही कुर्सी कैसे बचाओगी। रोहिंग्या और बांग्लादेशी तुमको अभी तो सर पर चढ़ाएंगे। फिर वो वैसे ही संस्कार से निकले हैं ये पाठ पढ़ाएंगे। सिर्फ भाषा का आत्मिक भाव मूल स्वभाव नहीं बदल सकता। मगरमच्छ का आचरण समझो वो सारे जीवों को निगल सकता। धैर्य रखकर राजनीति की मिसाल देना सीखो। तीखे शब्दों के तलवारी वार से मत चीखो। जनता माथे पर उठा सकती है तो जमीन पर गिरा भी सकती है। ज्यादा हिंसक प्रहार हुए न तो वहीं जनता विरोध में जमीन पर आ सकती है ।
‘बंगाल जला तो यूपी, बिहार, आसाम भी जलेगा, तुम्हारी गुंडागिर्दी मची तो क्या प्रशासन भजिये तलेगा’- प्रोफेसर श्याम सुन्दर पलोड
ravigoswami
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