समय रहते न हो एलर्जी का इलाज, तो हो सकती है अस्थमा की समस्या – डॉ. शैलेश अग्रवाल

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इंदौर। जीवित रहने के लिए स्वांस लेना आवश्यक है लेकिन कई बार हमारे नाक व मुंह के माध्यम से कुछ ऐसी चीजें अन्दर चली जाती हैं जिनसे हमें एलर्जी की समस्या पैदा हो जाती है। खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जलन, ये सभी चेस्ट एलर्जी के प्रमुख लक्षण हो सकते हैं। एलर्जी दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए एक जटिल समस्या बन गई है। हर वर्ष 8 जुलाई को विश्व एलर्जी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसका उद्देश्य एलर्जी से बचाव उसके उपचार व निदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

एक स्टडी के अनुसार दुनिया भर में लगभग 8 से 10% लोगों को एक या अधिक एलर्जी संबंधी बीमारियाँ हैं, जिनमें हल्के राइनाइटिस(हे फीवर) से लेकर गंभीर एनाफिलेक्सिस(गंभीर प्रकार की एलर्जी) या अस्थमा तक शामिल हैं। छाती की एलर्जी के कारण कई हो सकते हैं, जिनमें सबसे सामान्य धूल, धूम्रपान, वायु प्रदूषण, कीटाणु या जीवाणु से संपर्क, जानवरों के फरों या खाद्य पदार्थों से होने वाली समस्याएँ शामिल है। यह मुख्यतः शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने की वजह से होता है। छाती की एलर्जी के कारण श्वासनली में सूजन और खिचाव हो जाता है, जिससे हमारी सांस लेने में तकलीफ और छाती में जलन होती है। इसमें खांसी, बार-बार छींकें आना, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना, सीने में जलन और जकड़न समेत अन्य लक्षण शामिल हो सकते हैं, जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।

शैल्बी हॉस्पिटल के छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेश अग्रवाल कहते हैं “छाती की एलर्जी एक बहुत ही सामान्य समस्या है लेकिन जीवन की गुणवत्ता पर भी प्रभाव डाल सकती है। इससे निपटने के लिए कुछ सावधानियों का पालन करना आवश्यक होता है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम इसके उत्पन्न करने वाले कारणों का पता लगाएं। ऐसे किसी भी खाद्य पदार्थ, धूल, या धूम्रपान के संपर्क में आने पर सतर्क रहें जिसने समस्या हो रही है। साथ ही, हमें अपने आसपास की वातावरण को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि आज के समय में एलर्जी का सबसे अहम् कारण फंगस है।”

डॉ अग्रवाल आगे बताते हैं “अब विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि एलर्जी के सोर्स का पता आसानी से लगाया जा सकता है, यह केवल एक मिथक मात्र है कि एलर्जी का निदान नहीं किया जा सकता, अगर समय रहते इसे पहचान कर उपचार शुरू कर दिया जाए तो एलर्जी को प्राथमिक स्तर पर ही खत्म किया जा सकता है। अन्यथा यह सामान्य सी एलर्जी आगे चलकर अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी जा स्वरुप ले सकती है।”

मानसून आते ही ह्यूमिडिटी की वजह से सर्दी-खांसी, बुखार और एलर्जी की समस्या काफी देखने को मिलती है। आंखों से पानी आना, शरीर में खुजली, रैश आदि समस्याएँ पैदा होने लगती है। इसके लिए जरुरी है कि हम अपने आसपास को साफ सुथरा रखें। खिड़कियों को खुला छोड़ दें और धूप आने दें, घर की सीलन का उपाय करें, नीम के पत्तों और लौंग जैसे कीटाणुनाशकों का उपयोग करें और इम्यूनिटी बढाने के लिए संतुलित आहार लें।

छाती की एलर्जी एक आम समस्या है, लेकिन इससे सावधानी रखना बहुत महत्वपूर्ण है। अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए और छाती की एलर्जी से निपटने के लिए डॉ अग्रवाल के अनुसार कुछ सुझावों का पालन कर सकते हैं। धूप में समय बिताएं: सूर्य की किरणों के साथ संपर्क छाती की एलर्जी को कम करने में मदद कर सकता है। नियमित रूप से धूप में समय बिताने की कोशिश करें। प्रदूषण से बचें: ऐसे परिवेश में रहने की कोशिश करें जहाँ हवा साफ स्वच्छ हो। नियमित स्नान करें जिससे शरीर पर मौजूद एलर्जी एजेंट्स की संख्या को कम किया जा सकता है और एलर्जी की समस्या से काफी हद तक निदान मिलेगा।

एलर्जी एजेंट्स को पहचानें: किसी भी व्यक्ति को किसी वस्तु विशेष से एलर्जी हो सकती है जिसमें धूल के कण, रेशे, फंगस, खाद्य पदार्थ, आदि शामिल हो सकते हैं। इसलिए एलर्जी एजेंट्स को पहचानना बेहद आवश्यक है। ताकि उनसे बचाव किया जा सकता है। एलर्जी के लिए एक विशेषज्ञ की सलाह लेना बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसी कई दवाईयां, इन्हेलर, इंजेक्शन व अन्य बेहतर और कारगर इलाज मौजूद हैं जिनकी मदद से समस्या का निदान किया जा सकता है।

Source : PR