i5 समिट के दूसरे दिन हुआ पैनल डिस्कशन, स्पीकर सीरीज रही जारी

Akanksha
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आईआईएमइंदौर और आईआईटी इंदौर द्वारा आयोजित आई5 समिट के दूसरे दिनस्पीकर सीरीज में पहले वक्ता थेस्टॉक एजके सह-संस्थापक विवेक बजाज । उन्होंने कहा कि हमें हमेशा उसी अवसर की तलाश करनी चाहिए जो नया हो और वर्तमान में सामने हो । जैसे-जैसे अवसर बढ़ते हैं, आप भीस्वाभाविक रूप से,व्यक्तिगत रूप से प्रगति करते हैं। यदि ईमानदार तरीके से अवसर खोजेंगे,तो वे ज़रूर आपके पास आएंगे’, उन्होंने कहा। उन्होंने अवसरों के सहसंबंध और उद्यमिता के 8 चरणों को खूबसूरती से समझाया। सत्र का समपान प्रश्नोत्तरी से हुआ। बजाज ने अपने विचारों को साझा करते हुए युवा दर्शकों को प्रोत्साहित किया और कहा कि ‘न्यू इंडिया’ अपने स्वयं के उद्यम का प्रयास करने का सबसे अच्छा समय है। यह अवसरों से भरा है ।

दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण था- कोविड -19 के ‘न्यू नॉर्मल’ में विविधता और स्थिरता की भूमिका पर एक व्यावहारिक पैनल डिस्कशन। ” पैनलिस्ट थे सोनम वांगचुक, गिरीश अनंतनारायण, डॉ. हिमांशु राय (निदेशक, आईआईएम इंदौर); वेंकटेश सर्वसिद्धि और रंजन सिंह। सत्र का संचालन आईआईएमइंदौर की प्रोफेसर स्नेहा थपलियाल ने किया। यह चर्चा श्री वांगचुक ने कहा किविविधता सभी समाधानों का मुख्य घटक है, औरसभी समाधान विविध होने चाहिए। ‘अगर ऐसा नहीं हुआ होता, तो65 मिलियन साल पहले डायनासोर के साथ सब कुछ समाप्त हो गया होता। हम विविधता के कारण हीसंपन्न हुए हैं। वांगचुक ने कोविड -19 को एक अवसर, एक मौका बताया, जोसमाज में और अपने हरनिर्णय लेने के हर पहलू में विविधता लाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है ।

गिरीश नेबताया की इन परिस्थितियों में  हम लचीलापन, विविधता और समावेशिता का निर्माण करने के लिए क्या कर रहे हैं और क्या कर सकते हैं ।

प्रो. थपलियाल ने पैनलिस्टों से एक सवाल किया कि कैसे बी-स्कूल लचीलेपन और विविध प्रणालियों के निर्माण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। डॉ. राय जवाब देते हुए  कहा कि बी-स्कूलों को मात्रभावुकता से परे जिम्मेदारी लेने की जरूरत है। ‘जब तक हम अपने आस-पास के लोगों के लिए संवेदना नहीं रखते, जब तक कि हमें पर्यावरण के लिए संवदेना नहीं आती, हम अपने कामों को सही तरीके से नहीं करेंगे ‘, उन्होंने कहा।

स्पीकर सीरीज में शांतनु देश पांडे ने मानव व्यक्तित्व और मानसिकता में कुछ पथ-प्रदर्शक अंतर्दृष्टि प्रदान की, जिसने उन्हें अपनी बेहद सफल बॉम्बे शेविंग कंपनी (BSC) बनाने में सक्षम बनाया। लैंगिक भूमिकाओं का हवाला देते हुए, उन्होंने बताया कि कैसे सुंदरता पुरुषों के लिए एक बड़ा विषय रही है। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी कंपनी पुरुषों के लिए एक ‘युवा, जीवंत ब्रांड’ का निर्माण कर रही है ।

दिन का समापन डॉ. हरिप्रसाद, चेयरमैन,अपोलो अस्पताल की चर्चा के साथ हुआ ।