ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर में एक सन्त से मुलाकात
लेखनी: कृष्णा राठौर पत्रकार
मुलाकात: गोलू वर्मा के साथ चन्द्र नाथ जी से
स्थान: ऋण मुक्तेश्वर महादेव, उज्जैन
दो दिन पहले मेरी एक दोस्त से मुलाकात हुई थी। में उस से काफी दिनों से नाराज था। लेकिन जब में रास्ते से गुजर रहा था तो उसने मुझे आवाज देकर बुला दिया था। दोस्त अच्छा है लेकिन में उससे घुस्सा था। खैर इंसान हूँ! घुस्सा तो आना स्वभाविक है। लेकिन उस दोस्त की उस दिल से निकली रुक कृष्णा आवाज ने दिल जीत लिया था। में रुका बाते शुरू हुई दुखड़े की बात 20 सेकंड में खत्म हो गई। फिर हम आपस मे बात करने लगे दो घण्टे पेप्सी पीते-पीते कब गुजर गए पता ही नही चला। उसका काम घर बेचने बनवाने का है। एक ग्राहक घर खरीदने आया। बातों-बातों में महादेव का जिक्र शुरू हुआ। मेरी और से महादेव की बात रुक नही रही थी। घर खरीदी की बात अलग हो गई थी। महादेव के किस्से जारी थे। लेकिन उनके जाने के बाद उसने बोला ऋण मुक्तेश्वर महादेव जाना है तुझे। बस में तो हाँ बोल दिया। कल लेट उठा,काम काज किया। फिर अपने दोस्त गोलू वर्मा को लेकर निकल लिया। रास्ते मे यहां-वहां की बात होती रही। मन्दिर की मान्यताएं में वर्मा जी को गिनाता रहा। दो घण्टे में हम गूगल मैप से मन्दिर तक जा पहुंचे। जैसे ही पहुंचे हाथ पैर धोए। मन्दिर प्रांगण घुमा परसाद लिया। दर्शन करें और टहलने लगे। जानकारी की चाह तो बचपन से है खोजबीन करने लगे। इस बीच मेने जो उम्र का अंदाजा लगाया करीब 70 बरस के चन्द्र नाथ से मेरी मुलाकात हुई। नाथ के आशीर्वाद लेकर बात चालू हुई। नीचे जगह बैठने की थी लेकिन खड़े-खड़े हम दोनों बात करते रहे। मेने पूछा कहां रहते हो बोले जहां ठिकाना मिल जाए। मैंने फिर पूछा केदारनाथ, अमरनाथ गए हो। बोले नही गया। फिर पूछा काशी गए हो तो बोले कितनी बार। मेने पूछा आना जाना कैसे करते हो तो गर्व से बोले ट्रेन से मेरा कोई खर्चा नही लगता। मुझे कौनसी सीट चाहिए। बस जगह चाहिए इसलिए बोला में वहां रहता हूँ जहां ठिकाना मुझे मिल जाए। घर जाते-जाते मेने उन्हें प्रणाम किया तो फिर बुलाए और बोले इंदौर वाले विजय नाथ को जानते हो मेने जवाब दिया नही। तो बोले खेड़ी घाट वाले फिर भी मेने मना किया तो मुझे फिर दोबारा समझाने लगे वो थे वो। खैर चलते-चलते यादगार मुलाकात में बस इतना ही अब अगली यादगार मुलाकात में रूबरू होंगे।
जय श्री महांकाल
चलते-चलते,यादगार मुलाकात