मेरी भी ये मांग है…

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बाकलम – नितेश पाल

शहर की जनता की जान खतरे में है, क्योंकि शहर में सराफा चौपाटी जैसी कई जगह सुरक्षा का ध्यान नहीं है। बगैर किसी मांग के हालात बदलने के लिए शहर के सारे माई-बाप (नेता और अफसर) काम में लगे हुए हैं। इन सभी माई-बापों से मेरी भी मांग है, इसे जल्द पूरी होना चाहिए। रोजाना सडक़ों पर एक्सीडेंट होते हैं रोज या तो कोई जान गवाता है या फिर घायल हो जाता है। खराब ट्रैफिक के कारण सडक़ पर चलना खतरनाक हो चुका है। इन सडक़ों को भी बंद करना चाहिए। इंदौर में लगभग सभी घरों में गैस टंकी है जिनके यहां नहीं है, उनके वहां प्रधानमंत्री  की चलाई उज्जवला योजना में टंकी दी जा रही है।

उनके फटने का खतरा बना रहता है। मेरे एक परिचित के नेहरूनगर के घर में दो सप्ताह पहले फ्रीज का कंप्रेशर फटने से आग लग गई थी।इंदौर के 70 फीसदी घरों में फ्रीज है। उनसे भी आग लग सकती है। सभी घरों से गैस की टंकी और फ्रीज बाहर करवाना चाहिए। कुछ समय पहले सियागंज में रात को एक दुकान में आग लगी थी जो दूसरे दिन दोपहर तक चलती रही। आग शार्ट सर्किट से लगी थी। अपने यहां घर, दुकान, दफ्तर, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल और सभी जगह बिजली के कनेक्शन है उनमें कभी भी शार्ट सर्किट होने से आग लग सकती है। तो इन सभी को बंद करें या फिर बिजली के कनेक्शन कटवाना चाहिए।

बीते साल रामनवमी के दिन बावडी धंस गई थी उसमें 37 लोग गुजर गए थे। उस दिन उस समय के विधायक जी व्यस्तता के चलते पहुंचने में लेट हो गए थे, नहीं तो वो भी हादसे के शिकार हो गए होते, खुद प्रधानमंत्री मोदी जी को इस हादसे पर दुखी होते हुए शोक व्यक्त करना पड़ा था। इंदौर में ही ड्रेनेज और पानी की लाइन डालने के दौरान मधुमिलन चौराहे पर, रामबाग में, कृष्णपुरा छत्री, बाणगंगा में आधा दर्जन से ज्यादा लोग मर चुके हैं। शहर में पानी के सारे सोर्स हो या लाइनें इनमें भी हादसे हो रहे हैं। ऐसे में शहर के कुएं-बावड़ी, पानी और ड्रेनेज की लाइन को भी बंद ही कर देना ठीक ही होगा..? मेरी मांग के पीछे कारण भी है क्योंकि शहर के ट्रैफिक नगर निगम चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा था।

बीआरटीएस पर हादसे होते हैं जनता परेशान होती है, लेकिन उसे हटाया नहीं जा सकता। ट्रैफिक खराब होने का मेन कारण पार्किंग गायब होना है, पूरे शहर में जो भी मकान-बिल्ंिडग, मार्केट बनते हैं उनके नक्शे में तो नगर निगम पार्किंग रखती है, लेकिन मौके पर पार्किंग की जगह दूकानें बन जाती हैं। नगर निगम चुनाव के बाद के ही पौने दो साल में सैंकड़ों नई बिल्डिंग, नए मार्केट और जाने क्या-क्या बन गए, लेकिन उनमें पार्किंग गायब हो गई, पार्किंग की जगह जो अवैध निर्माण हुआ, उस पर तो माई-बाप कार्रवाई नहीं कर सकते।

तो ऐसे में गाडिय़ां जिन सडक़ों पर चलती है उन्हें ही बंद कर देना ही ठीक होगा। नगर निगम में ही एक फायर डिपार्टमेंट है, वो बिल्डिंगों को जाकर देखता है और फिर उन्हें एनओसी देता है कि उसमें अव्वल तो आग लगेगी नहीं और लगी तो उससे निपटने के पूरे साधन है। फिर भी हर तीसरे दिन आग लग रही है। आग लगने वाली जगह को बंद कर देना ही मेरी समझ में सबसे ज्यादा सही रहेगा।

वैसे भी इस शहर को उन्नत सुविधा देने के नाम पर नाम, पद, प्रतिष्ठा और उससे ज्यादा पैसा कमाने वाले हमारे शहर के ये माई-बाप उन्हे जो अधिकार मिले हैं उसके तो पूरे मजे लेते हैं, लेकिन उनको जो करना है यानी की दायित्व वो किसी उपर से बात होने के कारण कभी पूरा नहीं कर पाते। शहर को हम नया तो कुछ नहीं दे पा रहे उल्टा होलकरों के समय से बनी हुई सराफा चौपाटी जो पूरे भारत में शहर की पहचान है उसे हटाने की राय हमारे माई-बाप दे चुके हैं तो फिर मेरी इस मांग पर भी उनको कुछ तो करना ही चाहिए।