निरुक्त भार्गव
कोरोना संक्रमण की सुनामी को थामने और इससे होने वाली मौतों पर लगाम लगाने में असफल सिद्ध हुई राज्य शासन और उसकी प्रशासकीय मशीनरी ग्रामीण क्षेत्र की कितनी सुध ले रही है, ये भी अब धीरे-धीरे सामने आने लगा है. ग्राम पंचायत स्तर पर ही विभिन्न मदों में इतनी धनराशि उपलब्ध है कि गाँव-गाँव में कोरोना के विरुद्ध जंग लड़ी जा सकती है, पर शासन स्तर पर पालिसी पैरालिसिस के चलते इस तरह के कोई भी उपाय नहीं हो पा रहे हैं!
कोरोना की दूसरी लहर में जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाली स्थितियां उजागर हो रही हैं, वो अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों से सम्बंधित हैं. इस वैश्विक महामारी के दौर में सुदूर गांव तो क्या, शहरों से सटी ग्राम आबादी तक को अस्पतालों में बिस्तर उपलब्ध नहीं हैं! जीवन-रक्षक दवाई, ऑक्सीजन सप्लाई, रेमेदेसिविर इंजेक्शन आदि की उपलब्धता भी नहीं के बराबर है! समय पर कोरोना टेस्ट व सीटी स्कैन नहीं हो पाना और घरों में शामिलाती गुसलखाने होने से गांवों के हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं! आज हर ग्राम पंचायत में कोरोना मरीज दम तोड़ रहे हैं और उनका अंतिम संस्कार भी गांव में ही कर दिए जाने की रपट सामने आ रही हैं, बावजूद इसके उक्त तथ्य हेल्थ बुलेटिन में शामिल नहीं किए जा रहे हैं!
इन दिनों जिला स्तर पर हर गांव में कोरोना के सम्बन्ध में सर्वे किया जा रहा है! हैरतंगेज बात ये है कि जो दल घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं, उनके पास मेडिकल किट नहीं होती! यदि लक्षण-वाले अथवा लक्षण-रहित कोरोना मरीज ग्राम पंचायत मुख्यालय या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कोरोना किट लेने जाता है, तो अव्वल तो कोई कर्मचारी ही वहां उपलब्ध नहीं होता और यदि मिल भी जाए तो उसके पास दवाई उपलब्ध नहीं होती! कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जिस फेस मास्क और हाथ को साफ करने के रासायनिक तरल पदार्थ के इस्तेमाल की सर्वाधिक वकालत की जा रही है, और जिसको ग्राम पंचायत स्तर पर खरीदने की स्वीकृति भी है, उसके बिलों के भुगतान को मंजूरी नहीं दिए जाने की सूचना भी मिल रही है!
जानकारों के अनुसार, वर्तमान में हर ग्राम पंचायत में 15वें वित्त आयोग की भरपूर धनराशि उपलब्ध है. पंचायतें आसानी से औसतन 4-5 लाख रुपए खर्च कर ऑक्सीजन मशीन जैसे अत्यावश्यक उपकरण खरीद सकती हैं. उज्जैन जिले में ही 609 ग्राम पंचायतें हैं और वे चाहें तो देखते-ही-देखते 3 से 5 हजार ऑक्सीजन मशीन खरीद सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो लगभग हर पंचायत मे ऑक्सीजन की कमी से कोई अकाल मौत नहीं होगी! इसी प्रकार मध्यप्रदेश में कोई 23, 000 ग्राम पंचायत हैं और यदि हर पंचायत 5 मशीन खरीद ले तो लाखों लोगों की जान बच सकती है और ऑक्सीजन संकट भी काफी कम किया जा सकता है!
प्रत्येक ग्राम पंचायत के पास नीतिगत फैसले लेने और वित्तीय स्वीकृति देने के अधिकार होते हैं, पर मौजूदा संकट के समय भी वो कोई निर्णय लेने तथा ग्रामीणों को राहत देने में सफल होती दिखाई नहीं दे रहीं! सम्बंधित लोगों का कहना है कि पालिसी पैरालिसिस शासन स्तर से है और यदि वहीँ से कोई नीति तय हो जाए, तो बहुत-जल्द हालातों को नियंत्रित किया जा सकता है!
(छवि दर्शन: उज्जैन जिले में इन दिनों पुलिसकर्मी और पंचायतकर्मी कुछ इस तरह ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के विरुद्ध लोगों में अलख जगा रहे हैं)