यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को लेकर पीथमपुर में हंगामा, प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज

srashti
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 40 साल पहले हुई गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को अब नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह कचरा अब धार के पीथमपुरा में ले जाकर जलाया जाएगा। हालांकि, इस कदम को लेकर प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए हैं। लोग यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले इस खतरनाक कचरे को पीथमपुरा में ट्रांसफर करने के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं।

विरोध प्रदर्शन में हिंसा, पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा

प्रदर्शनकारियों का गुस्सा अब हिंसक रूप ले चुका है। 3 जनवरी को मध्य प्रदेश पुलिस को गुस्साए लोगों को हटाने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। लोगों का आरोप है कि यह कचरा उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा बन सकता है, और इसे इस तरह नष्ट करने का निर्णय उनके लिए खतरनाक हो सकता है।

गैस त्रासदी एक भयानक काला अध्याय

1984 की 2-3 दिसंबर की रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुए गैस कांड को इतिहास की सबसे भयानक त्रासदियों में से एक माना जाता है। इस दुर्घटना में करीब 5,000 लोग मारे गए थे, जबकि कई लोग मानसिक और शारीरिक तौर पर अपंग हो गए थे। अब, 40 साल बाद, सरकार और प्रशासन ने इस कचरे के नष्ट करने का निर्णय लिया है, जो कि पीथमपुरा के औद्योगिक क्षेत्र में जलाया जाएगा।

मुख्यमंत्री मोहन यादव का बयान कचरे में 60% मिट्टी

वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि इस कचरे में 60% मिट्टी है, जबकि केवल 40% हिस्सा नेफ्टॉल है, जिसका इस्तेमाल कीटनाशक मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) बनाने में होता है। उनका कहना है कि यह कचरा पूरी तरह से हानिकारक नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस कचरे में मौजूद जहरीले तत्व 25 साल तक रहते हैं, लेकिन अब, 40 साल बाद, यह कचरा किसी के लिए खतरनाक नहीं होगा।

ग्रीन कॉरिडोर से धार पहुंचाया गया जहरीला कचरा

भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को सीलबंद कंटेनरों में भरकर ‘ग्रीन कॉरिडोर’ से धार तक पहुंचाया गया। 12 कंटेनरों में भरे गए इस कचरे ने 250 किलोमीटर का सफर तय किया और पीथमपुरा के औद्योगिक क्षेत्र की वेस्ट डिपॉजिट यूनिट में रखा गया। इस यूनिट के आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।