श्री खजराना गणेश को रक्षाबंधन के दिन चढ़ेगी विशाल राखी

RishabhNamdev
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इंदौर। श्री गणेश भक्त समिति के संस्थापक राजेश विडकर, राहुल शर्मा ने प्रेस नोट में बताया है कि रक्षाबंधन के दिन इंदौर की जनता की सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य के लिए एक विशाल राखी का निर्माण किया जा रहा है 30 अगस्त मुहूर्त के अनुसार रात्रि 9:10 पर राखी खजराना गणेश जी को समर्पित की जाएगी, राखी निर्माण में 4 से 5 दिन का समय लगेगा जिसमें 15 कलाकार राखी का निर्माण करेंगे राखी का साइज 12×12 144 स्कायर फीट, लगने वाली सामग्री -गोल आकृति वाली प्लाई ३. धर्माकोल ४. गणेश जी की पूजन सामग्री ५. 101 मीटर लंबा मोटा रेशा वैदिक पद्धति एवं मंत्र उपचार के साथ मुहूर्त के अनुसार राखी को गणेश जी को समर्पित करेंगे पूर्व में भी हमारे द्वारा गई। राखी 1111 = 121 स्कायर फीट का रिकॉर्ड हमने बनाया था।

उसे रिकॉर्ड को इस बार 12 x 12=144 हम स्वयं ही तोड़ रहे हैं राखी की डोर में इंदौर के जनता एवं गणेश भक्त आकर अपनी राखी बंधेंगे इस वर्ल्ड बुक का रिकॉर्ड को आमंत्रित किया है जिसके लिए निमंत्रण के माध्यम से आमंत्रित किया गया है विशाल राखी रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक भक्तों के दर्शन रखी जाएगी इसमें वह अपना राखी लाकर बांध सकते हैं राखी बांधने वाले भक्तों को सर्टिफिकेट ऑनलाइन प्रदान किए जाएंगे इस अवसर पर साधू सन्त, ब्राम्हण, समाजसेवी, राजनैतिक क्षेत्र शहर के एनजीओ, शामिल होगें।

इस आयोजन के लिए एक समिति का गठन किया गया जिसमें विजय सोनोने, सचिन ठाकुर, संजय कुशवाह, संजय कौशल, जितु कुशवाह, सचिन नरवरिया, जर्नाधन कोल्हे, सतीश यादव, शयाम दर्शाोरे, निलेश सुर्यवंशी आदि को लिया गया है। हमने पूर्व में भी 7X7, 8X8, 9X9, 10X10, 11X11 स्केयर फीट राखी का निर्माण हमारी संस्था ने खजराना गणेश मंदिर में किया है।

वैदिक पद्धति के अनुसार राखी का निर्माण
इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है- (१) दुर्वा (घास) (२) अक्षत (चावल) (३) केसर (४) चन्दन (५) सरसों के दाने ।
इन पांच वस्तुओं का महत्त्व-
(१) दूर्वा – जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसीप्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेजी से हो। सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बदता जाए। दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँधरहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए।
(२) अक्षत– हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे।
(३) केसर – केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, वह तेजस्वी हो उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति कातेज कभी कम ना हो।
(४) चन्दन – चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है। उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो। साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे।
(५) सरसों के दाने- सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत
मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें