इंदौर के कई अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा को लेकर भारी लापरवाही

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अर्जुन राठौर

जबलपुर के निजी अस्पताल में भीषण अग्निकांड में 10 मरीजों की मौत हो गई थी इसकी सबसे बड़ी वजह थी इस अस्पताल में न तो अग्नि सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध थे और ना ही किसी भी प्रकार की आपदा आने पर आपातकालीन रास्ता बनाया गया था यही वजह है कि जब अस्पताल में आग लगी तो मरीजों के पास बचने के लिए कोई चारा नहीं बचा और वे जिंदा जल गए ।इंदौर में अपनी कई अस्पताल ऐसे हैं जिनमें अग्नि सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध नहीं हैं अस्पताल के के लिए फायर सेफ्टी सहित अन्य जो मानक बनाए गए हैं उनका कहीं कोई पालन नहीं होता।

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कई अस्पताल ऐसे हैं जिनमें आज भी मरीजों के आने और जाने के लिए एक ही सीढ़ी है ऐसी स्थिति में अगर इन अस्पतालों में कोई भी इमरजेंसी होती है तो मरीजों को भागने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं मिलेगा । कई अस्पताल तो आवासीय भूमि पर बना दिए गए और उनमें नर्सिंग होम तथा अस्पताल के नियमों का पालन भी नहीं हो रहा है और इंदौर का स्वास्थ्य विभाग इस पूरे मामले में आंखें मूंद कर बैठा हुआ है यदि इंदौर के तमाम नर्सिंग होम तथा अस्पतालों की जांच की जाए तो बड़े पैमाने पर इनमें खामियां मिलेगी लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी इन अस्पतालों से बंदी वसूल करने के और कोई दूसरा काम नहीं करते।

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कई अस्पताल ऐसे हैं जिनमें फायर बिग्रेड एक्ट के अनुसार सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध नहीं किए गए हैं और कई अस्पतालों को तो विभाग ने एनओसी भी नहीं दी है इसके बावजूद वे धड़ल्ले से चल रहे है ।कॉलोनियों में आवासीय भूमि पर चल रहे अस्पताल सबसे ज्यादा नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं होना तो यह चाहिए कि हर अस्पताल में मरीजों के प्रवेश तथा उनकी वापसी के लिए अलग-अलग सीढियां होनी चाहिए, यही नहीं इमरजेंसी सीढ़ियां भी अलग से बनाई जानी चाहिए लेकिन बहुत कम अस्पताल हैं जिनमें इमरजेंसी सीढ़ियां बनाई गई है अधिकांश अस्पतालों में तो घोर लापरवाही दिखाई देती है ।