पाक ने तोड़े सारे नियम, बिना जांच, सबूत, जाधव को सजा: भारत
कुलभूषण जाधव की सजा पर ICJ ने लगाई रोक
पुलवामा हमले पर मोदी बोले- बातों का वक्त निकल चुका
पुलवामा बयान पर फंसे सिद्धू, पंजाब विधानसभा में जमकर हंगामा
दिल्ली से पाकिस्तान ने अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाया
मप्र: डंपर- रिक्शे की भिड़ंत, 6 की मौत
मप्र: डंपर- रिक्शे की भिड़ंत में सड़क हादसा, 6 की मौत
कुलभूषण यादव पर आज अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में सुनवाई
भाजपा को झटका, सांसद कीर्ति आजाद ने थामा कांग्रेस का दामन
Ghamasan Exclusive: 2008 में ऐसी ही परिस्थितियों में येदियुरप्पा ने जुगाड़ा था बहुमत
Posted on: 19 May 2018 06:41 by Surbhi Bhawsar
कर्नाटक: ‘येदियुरप्पा की कुर्सी बचेगी या जाएगी’ इसका फैसला शाम 4:00 बजे होगा। लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब कर्नाटक विधानसभा में ऐसी स्थिति बनी है। येदियुरप्पा इससे पहले भी बहुमत से कुछ दूर खड़ी बीजेपी को बड़ी कामयाबी के साथ बहुमत दिला चुके हैं। यह वाकया है 2008 का, जब यदुरप्पा मुख्यमंत्री की शपथ ले चुके थे और बीजेपी के पास सिर्फ 110 विधायक थे।
बहुमत के लिए तीन विधायक और चाहिए थे, लेकिन यदि येदियुरप्पा ने कुछ ऐसा जादू चलाया कि कुल 7 विधायक विपक्षी दल से तोड़ लाएं। 7 विधायकों का इस्तीफा करवा दिया और अपनी सरकार बचा ली और बना भी ली। 10 साल बाद येदियुरप्पा के साथ ऐसी ही स्थिति बनी है। आईए आपको बताते है पूरा मामला-
2008 में येदियुरप्पा को बहुमत के लिए 3 विधायकों की जरुरत थी और येदियुरप्पा ने 7 विधायक जुटाए थे। बीजेपी ने ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिए कांग्रेस के तीन और जेडीएस के 4 कुल 7 विपक्षी विधायकों को इस्तीफा दिलाकर अपनी सरकार बचाई थी।बहुमत के लिए तीन विधायकों की जरूरत और थी. बीजेपी ने ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिए कांग्रेस के तीन और जेडीएस के 4 कुल 7 विपक्षी विधायकों को इस्तीफा दिलाकर अपनी सरकार बचाई थी। आज 10 साल के बाद क्या येदियुरप्पा फिर अपनी कुर्सी को बचाने के लिए वैसा ही इतिहास दोहराएंगे?
दरअसल, 2007 में येदियुरप्पा पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन उस समय महज 7 दिन के लिए ही मुख्यमंत्री रह पाए थे। उस समय बीजेपी के पास 79, कांग्रेस के पास 65 और जेडीएस के पास 58 विधायक थे। 2006 में जेडीएस और बीजेपी के बीच आपसी तालमेल हुआ था।इस तालमेल के तहत पहले जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने, लेकिन जब 2007 में बीजेपी की बारी आई तो उन्होंने धोखा दे दिया। इसके बाद 189 दिन के लिए कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
2008 में फिर विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी 110 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. जबकि कांग्रेस को 80 और जेडीएस को 28 सीटें मिलीं। उस समय भी बीजेपी ने सबसे बड़ी पार्टी होने के चलते सरकार बनाने का दावा किया और बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन बहुमत साबित करने के लिए 3 विधायकों की जरुरत थी।उस समय बीजेपी ने बहुमत साबित करने के लिए ‘ऑपरेशन लोटस’ चलाया।बहुमत परीक्षण से पहले येदियुरप्पा ने धन-बल के इस्तेमाल से कांग्रेस के तीन और जेडीएस के चार विधायकों को उनकी सीट से इस्तीफा दिलवा दिया। इसके बाद उपचुनाव में बीजेपी ने सभी 7 को पार्टी का टिकट देकर चुनाव लड़ाया।
इन 7 विधायको में से 5 ने बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की। विधायको की जीत के बाद कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी विधायकों का आंकड़ा 110 से 115 पर पहुंच गया और बीजेपी बहुमत साबित करने में सफल हुई।