खोटा सिक्का.. भाजपा की जेब में कैसे..?

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देखा जाए तो इंदौर में कांग्रेस का काम BJP ने उसके प्रत्याशी अक्षय बम का नामांकन वापस करवा कर आसान कर दिया.. वरना इंदौर कांग्रेस के नाम लगातार 10 वी और सबसे करारी हार की कालिख पुतती क्योंकि बम अब तक के तमाम प्रत्याशियों में सबसे मरियल साबित होते…BJP प्रत्याशी शंकर लालवानी जरूर देश में सर्वोच्च जीत का कीर्तिमान अपने नाम लिखवाते… अब रिकार्ड बनता भी है तो उसके कोई मायने नहीं , क्योंकि रेस में शंकर सांई अकेले ही दौड़े है… एक और मजे की बात देखिए कि BJP प्रदेश अध्यक्ष भी बम को खोटा सिक्का बताते है… जिस पर जनता का सवाल है कि ये खोटा सिक्का अब भाजपा की जेब में क्यों?

एक और मूर्खता भाजपाइयों की साफ नजर आईं कि बजाय वे अपने मतदाताओं तक पहुंचने के नोटा पर लट्ठ लेकर टूट पड़े , नतीजतन आज नोटा को BJP उम्मीदवार से ज्यादा पब्लिसिटी मिल गई… कांग्रेस का जो परम्परागत वोट बैंक है वो अगर अक्षय बम को मिलता तब भी हार- जीत का अंतर लाखों मतों का रहता… अब उसमें से 25 फीसदी भी वोट डालने निकले तो नोटा का रिकॉर्ड बन ही जाएगा… अभी तक देश में सर्वाधिक 56 हजार वोट नोटा को किसी एक संसदीय सीट पर मिले हैं ,उसका रिकॉर्ड इंदौर में टूटना इसलिए आसान है कि अल्पसंख्यक वर्ग का ही वोट अगर नोटा में डल गया तो वो ही एक लाख पार हो जायेगा … लिहाज़ा नोटा को कितने भी वोट मिलें उससे BJP को रत्तीभर फर्क नहीं पड़ना चाहिए… बल्कि नोटा के पोस्टर फाडऩे के साथ खिलाफ में जो अभियान चलाया उससे नोटा उलटा मजबूत हो गया और जिन मतदाताओं को इसकी जानकारी नहीं थीं, वे भी अब सोचने-समझने को मजबूर हो गए।

दूसरी तरफ़ अक्षय बम के लिए चुनाव लडऩा मुश्किल इसलिए हो गया था, क्योंकि ED, CBI, इनकम टैक्स से लेकर अन्य जांच एजेंसियों और पुलिस ने जिस तरह कार्रवाई की तलवार विपक्षी नेताओं पर देशव्यापी लटका रखी है… उसकी जद में बम परिवार भी आया… कांग्रेस को कोसने की बजाए BJP खुद से ये सवाल पूछे कि उसके द्वारा ऐसी क्या परिस्थितियां निर्मित की गई कि बम को नाम वापस लेना पड़ा..? यह पहला उदाहरण नहीं है, देश में कई जगह ये खेला किया गया जो जगजाहिर है… लिहाजा इंदौर BJP अपने मतदाताओं पर फोकस करे और नोटा के साथ फुस्सी बम को उसके हाल पर छोड़ दे… क्योंकि इस मामले में वो एक के बाद एक कई गलतियां कर चुकी है। नोटा को दिया वोट बेकार जाने की दलील इसलिए भी बोगस है, क्योंकि हर हारे उम्मीदवार को दिया वोट फिजूल कहलाता है, इसलिए अब बची खुची चुनाव प्रक्रिया को चलने दिया जाएं, जिसकी वैसे भी गोदी आयोग के चलते वॉट लग चुकी है।