दिनेश निगम ‘त्यागी’
मंत्रियों को विभागों का बंटवारा करने के बाद भाजपा ने अपना पूरा ध्यान विधानसभा की 25 सीटों के लिए होने वाले उप चुनावों की तैयारी पर केंद्रित कर दिया है। सबसे ज्यादा फोकस उन नेताओं पर है जो कांग्रेस के बागियों के भाजपा में आने या अन्य कारणों से नाराज हैं। कई सीटों में ये असंतुष्ट पार्टी के लिए खतरा बन सकते हैं। इसलिए वर्चुअल रैलियों के साथ इन्हें मनाने का अभियान भी चल रहा है। नाराज नेताओं में दो सबसे बड़े चेहरों साध्वी उमा भारती एवं राजनीति के संत स्वर्गीय कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी को लगभग मना लिया गया है। अब नजर ग्वालियर अंचल के हिंदू चेहरा जयभान सिंह पवैया, बदनावर सीट के पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत, अजय विश्नोई एवं पारुल साहू जैसे नेताओं पर है।
उमा के बयानों से सकते में था नेतृत्व….
मंत्रिमंडल विस्तार में सलाह को तरजीह न दिए जाने से नाराज उमा भारती ने कहा था कि कांग्रेस के बागियों के साथ मिलकर सरकार बनाने की बजाय हमें मध्यावधि चुनाव कराकर बहुमत हासिल करना चाहिए था। यह भी कहा था कि उनके सुझावों को नजरअंदाज कर उनसे जुड़े लोगों को अपमानित किया गया है। इसके बाद उप्र के गैंगस्टर विकास दुबे के उज्जैन तक पहुंचने पर भी उन्होंने सवाल उठाए थे। मंत्रिमंडल में लोधी समाज का कोई मंत्री भी नहीं है। उमा के तेवरों से भाजपा नेतृत्व सकते में था। इसीलिए उमा के कहने पर मलेहरा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी को पार्टी में लेकर उन्हें तत्काल खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का अध्यक्ष बना दिया गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया भोपाल आने पर सबसे पहले उमा से मिलने उनके निवास गए और उनकी नाराजगी दूर की।
दीपक जोशी की दो मांगों पर अमल….
पूर्व मंत्री दीपक जोशी हाटपिपल्या क्षेत्र के कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी को भाजपा में लेने से प्रारंभ से नाराज हैं। कई बार उन्होंने अपनी नाराजगी का खुलकर इजहार किया। वे स्वर्गीय कैलाश जोशी के बेटे हैं। भाजपा नेताओं ने उन्हें बुलाकर बात की तब भी उनके तेवर ठंडे नहीं पड़े। इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया हाट पिपल्या का कार्यक्रम बनाकर वहां पहुंचे। जोशी की प्रमुख मांग बागली को जिला बनाने की घोषणा की तथा कैलाश जोशी की प्रतिमा का अनावरण किया। भाजपा के इस प्रयास को जोशी की नाराजगी दूर करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि हाटपिपल्या क्षेत्र के कई भाजपा नेता अब भी नाराज हैं। वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।
शेखावत, पवैया, पारुल के रुख से संकट….
बागियों के भाजपा में आने और उन्हें मंत्री बना देने के बाद नाराज नेताओं की कतार लंबी है। बदनावर के पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, सुरखी की पूर्व विधायक पारुल साहू, पूर्व मंत्री अजय विश्नोई सहित तमाम ऐसे नेता हैं, जिनके रुख और बयानों से भाजपा संकट में है। शेखावत, पारुल एवं पवैया से पार्टी नेता बात कर चुके हैं लेकिन उनके तेवरों में बदलाव नहीं आया। उप चुनाव में ऐसे नेता बागियों के लिए खतरा बन सकते हैं। इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह व अन्य नेताओं की पहली कोशिश इन्हें साधने, मनाने व संतुष्ट करने की है। इसके लिए रणनीति के तहत काम हो रहा है।