केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जेलों में कैदियों के साथ जाति के आधार पर भेदभाव और वर्गीकरण की जांच करने के लिए जेल नियमावली में संशोधन किया है। मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए एक पत्र में यह कहा कि ‘आदर्श कारागार नियमावली, 2016’ और ‘आदर्श कारागार एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023’ में संशोधन किया गया है, ताकि कैदियों के साथ किसी भी प्रकार के जातिवाद आधारित भेदभाव को सुलझाया जा सके।
जेलों में जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ नए निर्देश
इसमें यह कहा गया है कि, “यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जेलों में किसी भी ड्यूटी या कार्य आवंटन में कैदियों के साथ उनके जातिगत आधार पर कोई भेदभाव न हो।” इसके अलावा, आदर्श कारागार एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023 के ‘विविध’ खंड में संशोधन किया गया है, जिसमें धारा 55(ए) के तहत नया शीर्षक ‘कारागार एवं सुधार संस्थानों में जातिवाद का निषेध’ जोड़ा गया है। गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘हाथ से मैला उठाने वालों के रोजगार पर प्रतिबंध और पुनर्वास अधिनियम, 2013’ के प्रावधान जेलों और सुधार संस्थानों पर भी लागू होंगे। इसके अंतर्गत यह कहा गया है कि जेलों में हाथ से मैला उठाने या सीवर और सेप्टिक टैंक की खतरनाक सफाई करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
कई राज्यों में आदतन अपराधी अधिनियम लागू नहीं
गृह मंत्रालय ने कहा कि चूंकि कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने क्षेत्राधिकार में आदतन अपराधी अधिनियम को लागू नहीं किया है, और कुछ राज्यों के मौजूदा आदतन अपराधी अधिनियमों में इस परिभाषा की समीक्षा के बाद, आदर्श जेल नियमावली, 2016 और आदर्श जेल एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023 में ‘आदतन अपराधी अधिनियम’ की वर्तमान परिभाषा को बदलने का निर्णय लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में दिए स्पष्ट दिशा-निर्देश
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में ‘आदतन अपराधियों’ के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए थे और कहा था कि कारागार नियमावली एवं आदर्श कारागार नियमावली को संबंधित राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित कानूनों में ‘आदतन अपराधियों’ की परिभाषा के अनुरूप होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि यदि किसी राज्य में आदतन अपराधी कानून मौजूद नहीं है, तो केंद्र और राज्य सरकारें तीन महीने के भीतर अपने निर्णय के आधार पर नियमावली और नियमों में आवश्यक संशोधन करेंगी।