मध्य प्रदेश टेक्सटाइल व गारमेण्ट के क्षेत्र में बना रहा इतिहास, प्रवासी भारतीयों ने लिया बढ़-चढ़कर हिस्सा

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इंदौर। टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट सेक्टर में मध्यप्रदेश नये कीर्तिमान रच रहा है। मध्यप्रदेश की समृद्ध प्रिंटिंग कला ने इसे नये आयाम दिये हैं। मध्यप्रदेश की बाघ, नंदना एवं बाटिक प्रिन्ट विश्व प्रसिद्ध हैं। इसमें ट्रेडिशनल के साथ-साथ मार्डन एवं फेशनेबल वस्त्र बनाये जा रहे हैं। यह बात औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने 17वें प्रवासी भारतीय दिवस में आयोजित टेक्टाइल एवं गारमेण्ट सत्र में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि माहेश्वरी एवं चंदेरी मध्यप्रदेश की विश्व प्रसिद्ध साड़ियाँ हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में अनुकूल सरकारी नीति और सहायक प्रशासन के साथ-साथ कुशल संसाधनों की उपलब्धता, प्रतिस्पर्धी दरों पर विशाल भूमि बैंक व्यवसायों को राज्य में फलने-फूलने में मदद करेगा। सत्र में उद्यानिकी एवं प्र-संस्करण मंत्री भारत सिंह कुशवाहा भी उपस्थित थे।

मध्यप्रदेश अद्वितीय मुद्रण तकनीकों का घर है, जिनमें ज्यादातर प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके हाथ से ब्लॉक प्रिंटिंग, बाटिक प्रिंटिंग और बांधने और रंगाई की तकनीकें हैं जिन्हें बंधिनी के रूप में जाना जाता है। चंदेरी और महेश्वरी रेशमी और सूती कपड़े मध्य प्रदेश की बुनाई की विशेषताएँ हैं।

मध्यप्रदेश टेक्सटाइल और गारमेंट्स के क्षेत्र में देश के लिए ग्रोथ सेंटर है। कपड़ा और परिधान उद्योग दशकों से मध्य प्रदेश में महत्वपूर्ण महत्व रखता है। यह तेजी से फैलता और बढ़ता बाजार है, और इसमें रोजगार की अतुलनीय संभावनाएँ हैं।
मध्यप्रदेश में भारत का 43% और विश्व के जैविक कपास उत्पादन का 24% हिस्सा है। मध्य प्रदेश ने पिछले तीन वर्षों के दौरान जैविक कपास उत्पादन में 60% सीएजीआर देखा है। 60+ बड़ी कपड़ा मिलों, 4,000+ करघों और 2.5 मिलियन स्पिंडल की उपस्थिति इस क्षेत्र में मध्य प्रदेश की ताकत को प्रदर्शित करती है। इंदौर, भोपाल, उज्जैन, धार, देवास, ग्वालियर, छिंदवाड़ा और जबलपुर राज्य में प्रमुख कपड़ा हब के रूप में उभरे हैं। इंदौर में रेडीमेड गारमेण्ट उद्योग समूह में 1,200+ इकाइयां हैं, जहां इंदौर एसईजेड में एक परिधान डिजाइनिंग केंद्र है।

सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के तहत सबसे ज्यादा निवेश मध्यप्रदेश को मिला है।
टेक्सटाइल और गारमेण्ट राज्य के फोकस क्षेत्रों में से एक है और क्षेत्र राज्य के युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के बड़े अवसर प्रदान करता है। राज्य सरकार कपड़ा और परिधान क्षेत्र के उद्योगों के लिए पूरी तरह से अनुकूलित प्रोत्साहन पैकेज लेकर आई है। उद्योगों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता संयंत्र और मशीनरी (पी एंड एम) में किए गए निवेश की मात्रा के समानुपाती होती है।

ट्राइडेंट ग्रुप, रेमंड, आदित्य बिड़ला, बेस्ट कॉर्प, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, प्रतिभा सिंटेक्स, एवीजीओएल, इंडोरामा, सागर ग्रुप, भास्कर, नाहर ग्रुप और वर्धमान ग्रुप कुछ ऐसे बड़े नाम हैं जिन्होंने मध्य प्रदेश में निवेश किया है और अपनी इकाई स्थापित की है। मप्र सरकार की अनुकूल नीति, आसानी से उपलब्ध कुशल जनशक्ति और कम मानव-दिवस हानि के कारण वे राज्य में बार-बार निवेश कर रहे हैं।

अपर मुख्य सचिव कुटीर एवं ग्रामोद्योग तथा तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार मनु श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले बहुत थोड़े समय में ही प्रदेश ने तेजी से प्रगति की है। टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट सेक्टर ने नई ऊँचाइयों को छू रहा है। सत्र में अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी विकास गुलशन बामरा उपस्थित थे।

एमएसएमई सचिव पी. नरहरि ने टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट क्षेत्र में मध्यप्रदेश की क्षमताओं एवं औद्योगिक नीति के संबंध में पॉवर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन दिया। टेक्सटाइल एवं गारमेण्ट सेक्टर सत्र के पेनल में प्रतिभा सिन्टेक्स लि. मैनेजिंग डायरेक्टर श्रेयस्कर चौधरी, नागल गारमेण्ट इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप अग्रवाल, एम.पी. टेक्सटाइल मिल एसोसिएशन एवं भास्कर इंडस्ट्रीज प्रा.लि. के एमडी अखिलेश राठी, आई टोकरी के को-फाउंडर नितिन पमनानी और उमंग श्रीधर डिजाइन्स की फाउंडर उमंग श्रीधर ने अपने-अपने उद्योग की विकास गाथा को साझा किया एवं मध्यप्रदेश की इन्वेस्टर्स फ्रेण्डली नीति एवं क्षमताओं को सराहा। सत्र के अंत में पेनलिस्ट ने सत्र के सहभागी प्रवासी भारतीयों की सवालों का जवाब दिया।