सांवेर हुआ राममय, भव्य कलश यात्रा के साथ ऐतिहासिक राम कथा शुरू

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इंदौर : प्रभु श्री राम की कथा के लिए संपूर्ण सांवेर क्षेत्र मे उत्साह का माहौल है। मंत्री तुलसी सिलावट के मार्गदर्शन मे आयोजित प्रेमभूषण जी की राम कथा के शुभारंभ अवसर पर भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया।

कलश यात्रा इतनी ऐतिहासिक थी कि सांवेर मे हरेक घर मे इसे लेकर उत्साह था। कलश यात्रा का एक छोर जब कथा स्थल पर पहुच गया था तब अंतिम छोर कलश यात्रा शुभारंभ स्थल पर ही था। हजारों की संख्या मे महिलाओं ने इस कलश यात्रा मे भाग लिया। कलश यात्रा का जगह जगह पर स्वागत किया और ढोल नगाड़ों के साथ ही कलश यात्रा अपने नियत मार्ग से होते हुए कथा स्थल पर पहुची।

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कथा वाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने कथा आरंभ होने के पूर्व रामायण जी की आरती की।  प्रेमभूषण जी महाराज ने अपने प्रसिद्ध भजन हम रामजी के रामजी हमारे से शुभारंभ किया। आपने कथा के दौरान कहा कि कथा आत्मा को भोजन प्रदान करती है। मनुष्य वही श्रेष्ठ है जो परंपराओं का सम्मान और पालन करता है। आपने कहा कि यह साधु संतों की कथा नहीं बल्कि परिवार से प्रारभ होकर परमार्थ तक गई है।

रामचरितमानस के बारे मे आपने कहा कि कथा की यह परंपरा है गोस्वामी जी तुलसी बाबा कहते है हमने अपने गुरु से जो कथा सुनी जितना हम थोडा बहुत समझ पाए उसे ही हम भाषा मे बांध रहे है। आपने कहा कि समाज मे सबसे अधिक पारायण सबसे अधिक मान्यता सबसे सरलतम चुनाव राम चरित मानस होता है। इसका मतलब यह नहीं यह सबसे सरल है। एक एक पंक्ति ऐसी है कि उसके अर्थ समझने मे महीनो लग जाते है। परतु यह ग्रथ इतना अद्भुत अलौकिक है कि सभी को सहज रूप से स्वीकार्य है।

आपने कहा कि कई विद्वान है जिनका यह कहना है कि हम चाहे जितने ग्रंथ,पुराण आदि पढ़ ले परंतु जब तक रामकथा नही पढते तब तक आनद नही नही आता। जब तक इस दिव्य ग्रंथ के तुलसीदल रुपी प्रसाद को भगवान के श्री चरणों में अर्पित नहीं कर देते तब तक पूजा की पूर्णता नही मिलती। हमारी पुरातन जो संस्कृति और परंपरा है उसे ही स्वीकार करे और जीवन जीये। जीवन जीते समय ऐसे कर्म करे की ओरो के लिए वह प्रेरणा बन जाए तब आपके जीवन की सार्थकता होगी। सर्वकाल अपना श्रेष्ठ दे और जीवन मे एक लक्ष्य रखे और उस ओर सत्य के साथ प्रयास करते रहे। जो सत्य साथ खडा है भगवान उसका साथ देते ही है। परतु अगर जीवन मे लक्ष्य ही नही है तब कोई क्या सहायता करेगा? जो स्वयं की सहायता स्वयं नही कर सकता उसकी सहायता कौन करेगा।

आपने कहा कि दुनिया मे ऐसी कोनसी वस्तु नहीं जो ढूंढने से नहीं मिलेगी ढूंढने से तो परमात्मा भी मिल जाता है। आपने कहा कि सत्संग का पलडा हर समय पुण्य और मोक्ष से ज्यादा ही रहेगा परतु जो व्यक्ति सत्संग चाहता है उसकी भी एक विधि है। कथा सुनने के लिए सांवेर ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र से भी बडी संख्या मे श्रद्धालु कथा स्थल पर मौजूद रहे।

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रामकथा मे भाग लेने के लिए हजारों की संख्या मे श्रद्धालुओं ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। कथा स्थल पर ही सभी श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था भी की गई है। साथ ही वाहनों के लिए विशेष पार्किंग व्यवस्था भी की गई है।