ये कोई बहुत पुरानी बात नहीं है, सिर्फ कुछ साल पहले की ही बात है जब इंदौर के चौराहों पर लगे ट्रेफिक सिगनल का कोई मतलब ही नहीं था, सारे वाहन चालक लाल बत्ती को बत्ती देते हुए फर्राटे से निकल जाते थे। लोग सिर्फ पुलिस को देखकर ही लाल बत्ती पर रुकते थे। नियम उल्लंघन के इस चक्कर में कई दुर्घटनाएं होती रहती थी और कुछ तो घातक भी सिद्ध होती थी। शहर के कई परिवार सड़क दुर्घटना में किसी अपने को खोने की मर्मांतक पीड़ा आज भी भुगत रहे हैं।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शहर के मिडिया, ट्रेफिक पुलिस, प्रशासन, यातायात प्रबंधन मित्र, मिडिया के अन्य सहयोगी, स्वयंसेवी संस्थान, शिक्षण संस्थान, व्यापारिक और औद्योगिक संगठन, नगर सुरक्षा समिति, ट्रेफिक वार्डन संघ, सोशल मिडिया इनफ्लुएंसर आदि ने साथ मिलकर शहर के बिगड़ैल ट्रेफिक को सुधारने का बीड़ा उठाया। वाहन चालकों को समझाइश देने की इस मुहिम में सबका सहयोग मिलता गया और कारवां बनता चला गया।
पिछले कई सालों से चल रहे इस महा अभियान के परिणाम स्वरूप आज इस क्षेत्र में सुखद परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। आज 90% वाहन चालक यातायात संकेतकों का सम्मान करते है और लाल बत्ती पर रुक कर अपनी बारी का इंतजार करते है।
अब वाहन चालक यह समझ चुके है कि यातायात नियम उनकी सुरक्षा के लिए इजाद किए गए है। और उनको पुलिस से बचने के लिए नहीं बल्कि अपनी स्वयं की सुरक्षा के लिए इन्हें अपनी दैनिक जीवनचर्या में अपनाना है।
इंदौर के विभिन्न चौराहों पर इस तरह के सुखद दृश्य अब आम हो चले हैं। लगभग सभी वाहन चालक अपनी सुरक्षा हेतु यातायात नियमों का पालन करने लगे हैं।
इंदौर वाले अब समझ चुके हैं कि यातायात नियमों का पालन चालान से बचने के लिए नहीं करना है बल्कि अपनी स्वयं की सुरक्षा के लिए करना है और उनको अपनाने में ही समझदारी है।
व्यवस्थित ट्रेफिक को देखना बहुत अच्छा लगता है ना… तो आइए इस व्यवस्था को बनाए रखने में आप भी यातायात नियमों को अपनाकर अपना योगदान दीजिए।