पिछले दिनों महू में बहुचर्चित कंट्रोल कांड हुआ था जिसमें बड़े पैमाने पर कंट्रोल के राशन की हेराफेरी पकड़ी गई थी लेकिन अब पता चला है कि इंदौर में कई कंट्रोल वाले ऐसे हैं जो बड़े पैमाने पर गरीबों का राशन हड़प कर उन्हें बाजार में बेच रहे हैं इसमें खाद्य विभाग तथा नगर निगम के अधिकारियों की भी मिलीभगत है बताया गया है कि जो परिवार राशन नहीं लेते हैं उनके भी फर्जी कूपन बनाकर तथा पात्रता पर्ची बनाकर उनके नाम पर राशन हड़प लिया जाता है और फिर इसे मंडियों में तथा अन्य स्थानों पर बेच दिया जाता है ।
यदि इंदौर के कंट्रोल दुकानों की बारीकी से जांच कराई जाए तो पता चला जाएगा कि जितनी संख्या में वहां पर राशन लेने वालों के नाम दर्ज हैं इतने लोग राशन लेने आते ही नहीं है देखने वाली बात तो यह भी है कि खाध विभाग तथा नगर निगम के अधिकारी भी कंट्रोल दुकानों का नियमित निरीक्षण नहीं करते ।
निरीक्षण नहीं करने की एकमात्र वजह है कंट्रोल दुकानों से अधिकारियों की सेटिंग और इसी का फायदा उठाकर गरीबों के राशन में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की जा रही है।
इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह गरीबों के हितेषी माने जाते ऐसी स्थिति में उन्हें इंदौर की तमाम कंट्रोल दुकानों की जांच कराकर उसका भौतिक सत्यापन कराना चाहिए कि वास्तव में कितने लोगों के नाम दर्ज हैं और कितने लोगों को राशन दिया जा रहा है और अगर राशन ब्लैक में बिक रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए ।
अर्जुन राठौर