दतिया में बाढ़ से भारी नुकसान, कमलनाथ ने की मीडिया से चर्चा

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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दतिया में मीडिया से चर्चा की। वहीं इस चर्चा में उन्होंने कहां, मैंने अभी ग्वालियर से दतिया क्षेत्र का हवाई दौरा किया है और बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। आज यह राजनीति का विषय नहीं है लेकिन यह आवश्यक है कि हम राज्य सरकार को सुझाव दे। इस प्रकार की आपदा मैंने कभी नहीं देखी। यहां से मैं शिवपुरी और श्यौपुर जा रहा हूं। आज बाढ़ से पूरा ग्वालियर-चंबल संभाग प्रभावित है।

छोटी सड़क से लेकर बड़ी सड़क, पुल-पुलिया सब नष्ट हो गए है, बह गए है, हजारों हेक्टेयर फसल नष्ट हो गई है, आज इसका कैसे आकलन किया जाएगा, सरकार बतायें ? आज कई मकान बह गए हैं और कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। आज लोग बड़ी संख्या में राहत कैंपों में रह रहे हैं। उन्हें वापस कैसे लाया जाएगा, सरकार बताएं।

केवल घोषणा करने से कोई राहत मिलने वाली नही है। मेरा तो आज एक ही प्रश्न है कि राज्य सरकार से कि वो यह बता दे कि राहत के क्या-क्या प्रबंध सरकार ने किए है। कितने सीमित समय में यह राहत प्रभावितों तक पहुंच जाएगी। आज बड़े पुल, छोटे पुल, सड़कें सब बह गए हैं, आज गांव के गांव खाली पड़े है, कई गांव में तो मुझे एक व्यक्ति भी नजर नहीं आया।

आज राहत कैंपों से कैसे लोगों को वापस लाया जाएगा, सरकार कितने सीमित समय में जिन लोगों की मृत्यु इस आपदा में हुई है, उन तक आर्थिक सहायता पहुंचा देगी, राहत के सारे इंतज़ाम कब तक कर देगी। मै सरकार से मांग करता हूं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के बिजली बिल 1 वर्ष के लिए पूरी तरह से माफ किए जावे।

आज शोमैनशिप, ड्रामे और दिखावे की राजनीति से कोई फायदा होने वाला नही है। मै मुख्यमंत्री जी से निवेदन कर रहा हूं कि वो राहत का सीमित समय बताएं, आंकड़े बताएं, आज कितने पुल, कितनी सड़क नष्ट हुई है, बिजली की व्यवस्था चौपट है, ट्रांसफार्मर गिर गए, खराब हो गए हैं, यह सारी स्थिति जनता के सामने बताएं और बताए कि सरकार ने इसको लेकर क्या इंतज़ाम किए है, क्या योजना है।

आप कमलनाथ की मत सुनिए, आप मुख्यमंत्री की मत सुनिए, आप तो प्रभावितों से पूछिए कि अभी तक उन्हें कितनी राहत मिली है। मौसम विभाग बारिश की पूर्व चेतावनी देता है, मौसम विभाग बताता है कि कौन सा क्षेत्र ओरेंज झोन में है, कौन सा रेड जोन में है, यह जानकारी वह पहले ही दे देता है, यह सब जानकारी होने के बावजूद सरकार ने इस बाढ़ से निपटने को लेकर क्या प्रबंध किए, वह बातए और यह बाढ़ अचानक नहीं आयी।

कोरोना के सवाल पर कहा कि सरकार ने तो सदन में बताया कि ऑक्सीजन की कमी से देश में कोई भी मृत्यु नहीं हुई। कोरोना में कितने इंजेक्शन ,कितनी ऑक्सीजन उपलब्ध थी। यह तो सभी को पता है? मैंने ख़ुद ग्वालियर क्षेत्र में ऑक्सीजन की व्यवस्था की। अंतराष्ट्रीय मीडिया ने भी मौत के आंकड़े बताएं है।

मुक्तिधाम और कब्रिस्तान के आँकड़े यदि सरकार सार्वजनिक कर दे तो सारी सच्चाई सामने आ जायेगी। मैंने 9 अगस्त आदिवासी दिवस को प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था, कार्यक्रम करने के लिए हर ज़िले में राशि भी जारी की थी क्योंकि हमारा प्रदेश आदिवासी बहुल प्रदेश है।आज यह अन्न महोत्सव में लगे हैं, बाढ़ की भीषण आपदा में भी यह उत्सव मना रहे है, क्या यह उत्सव मनाने का समय है।