पकड़ा गया वो चोर है जो बच गया वो सयाना है…

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कल SBI के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया उन पर जो आरोप है वो बहुत दिलचस्प है जो भी आर्थिक विषयो मे रुचि रखते हैं उन्हें इस विषय मे जरूर जानना चाहिए…

तो हुआ यूं कि, राजस्थान के गोडावन ग्रुप जो एक होटल चेन चलाता है उसने साल 2008 में एसबीआई से 24 करोड़ रुपए का लोन ये कहकर लिया था कि वह यहां होटल बनाएगा। उस वक्त ग्रुप के बाकी के होटल अच्छी तरह से रन कर रहे थे तो उसे लोन दे दिया गया, बाद में ग्रुप की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और ग्रुप लोन का भुगतान नही कर पाया ओर लोन एनपीए में बदल गया। एसबीआई बैंक ने दोनों होटलों को सीज करने की ओर कदम बढ़ाया। इस दौरान प्रतीप चौधरी एसबीआई के चेयरमैन थे।

प्रतीप चौधरी जी ने ‘आपदा में अवसर’ देखते हुए नीलामी की प्रक्रिया को नही अपनाया बल्कि एक कदम आगे बढ़कर ग्रुप के होटलों को एक कंपनी Alchemist ARC Company को बहुत सस्ते में 24 करोड़ रुपए में बिकवा दिया

Alchemist ARC Company को 2016 में इन होटल को हैण्डओवर किया गया 2017 में जब इसका मूल्यांकन हुआ तो पता लगा कि प्रॉपर्टी का मार्केट प्राइज 160 करोड़ रुपए था और आज इसकी कीमत 200 करोड़ रुपए है।

अब सबसे दिलचस्प बात यह है कि 2011 से 2013 तक चेयरमैन पद पर बने रहने के बाद चौधरी साहब जब रिटायर हुए तो वह अल्कमिस्ट आर्क कंपनी में बतौर डायरेक्टर जाकर कुर्सी पर बैठ गए,

इस सौदे में हुई धोखाधड़ी के खिलाफ ग्रुप ने जोधपुर की सीजेएम अदालत में केस दायर किया और अदालत ने एसबीआई चेयरमैन को दोषी माना और आईपीएस धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (लोक सेवक, या बैंकर द्वारा आपराधिक विश्वासघात …), और 120 बी (आपराधिक साजिश की सजा) के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी किया, कल इसी केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया है

अब प्रतीप चौधरीजी का जो होगा सो होगा ? लेकिन इस यहाँ गिरफ्तारी के बाद जो बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या अकेले सिर्फ प्रतीप चौधरी ही एसबीआई के चेयरमैन रहने के बाद रिटायर होकर किसी निजी ग्रुप में जाकर डायरेक्टर बने है ?…..

उनके बाद एसबीआई की चेयरमैन बनी अरुंधति भट्टाचार्य को आप क्यो भूल रहे हैं !…………. अरुंधति भट्टाचार्य ने साल 2017 में एसबीआई के चेयरपर्सन के पद को छोड़ा था। इसके बाद भट्टाचार्य ने सात भारतीय कंपनियों में डायरेक्टर के तौर पर काम किया है। अजय पीरामल के नेतृत्व वाली पीरामल इंटरप्राइजेज लिमिटेड और मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज का भी नाम शामिल है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल लिमिटेड में एडिशनल इंडेपेंडेट डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया है।

भारत सरकार के पूर्व सचिव ईएएस शर्मा ने अरुधंति भट्टाचार्य के लोकपाल सर्च कमेटी का सदस्य बनने पर 10 अक्टूबर 2018 को भारत सरकार को पत्र लिखा था इस पत्र में शर्मा जी कहते हैं –

“एसबीआई की पूर्व चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य का जुड़ाव फाइनेंसियल सर्विस प्रदान करने वाली कम्पनी क्रिस कैपिटल को सलाह देने वाले पद से है। इस फाइनेंसियल कम्पनी का नाम भी कर चोरी से जुड़े पनामा पेपर्स में शामिल है.
वह आगे लिखते हैं ‘लोकपाल सर्च कमेटी का सदस्य बना दिए जाने के बाद अरुंधती का रिलायंस इंडस्ट्रीज का स्वतंत्र निदेशक बनाया जाना परेशान करने वाली बात हो जाती है। साल 2011-12 की एसबीआई रिपोर्ट की तहत यह बात ध्यान देने वाली हो जाती है कि बैंक ने आरबीआई द्वारा कम्पनियों को दिए जाने वाले कर्ज की सीमा से अधिक रिलायंस इंडस्ट्री को कर्ज दिया.

अनिल अम्बानी को कर्ज देने में एसबीआई ग्रुप का नाम टॉप पर आता है 26 अगस्त 2018 के अखबारों के बिजनेस पेज की खबर है कि एसबीआई ने अनिल अम्बानी के कर्ज को राहत देने के लिए दूरसंचार विभाग को पत्र लिखा है, यानी कि एसबीआई द्वारा शुरू से अनिल अम्बानी के रिलायंस ग्रुप को जमकर कर्ज बांटा गया और बाद में भाई की कम्पनी में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर बनवा कर हजारों करोड़ रफा दफा कर दिए गए , आज अनिल अम्बानी दीवालिया हो गए हैं

इतना ही नही विजय माल्या के सिलसिले में भी एसबीआई के चेयरमैन की भूमिका संदिग्ध रही है सुप्रीम कोर्ट के वकील दुष्यंत दवे ने बयान दिया था कि उन्होंने एसबीआई प्रबंधन के शीर्ष अधिकारी से मिलकर उन्हें यह बताया था कि विजय माल्या भारत से भाग सकता है. उन्होंने बताया कि एसबीआई के शीर्ष अधिकारी से उनकी मुलाकात रविवार 28 फरवरी, 2016 को हुई थी. दरअसल, दवे ने एसबीआई को माल्या का पासपोर्ट रद्द करने की सलाह दी थी. इस सलाह पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके 4 दिन बाद माल्या ने देश छोड़ दिया.

साफ दिख रहा है कि 25 करोड़ जैसी छोटी रकम में हुई धोखाधड़ी में केस दर्ज कर गिरफ्तारी तक हो जाती है लेकिन जब मामला हजार करोड़ से ऊपर का हो तो जरा सी भी चू तक नही होती, घोटाले दोनो करते हैं जो पकड़ा जाता है उसे लोग चोर कह देते हैं जो नही पकड़ा जाता वह ईमानदार बना रहता है.

गिरीश मालवीय