तोमर से मिले खट्टर, बोले- एक-दो दिन में हल हो जाएगी किसानों की समस्या

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नई दिल्ली : पंजाब और हरियाणा के किसानों का आंदोलन केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ लगातार रफ़्तार पकड़ता जा रहा है. किसान आंदोलन को आज 24 दिन हो गए हैं. किसान अपनी मांगों के साथ डटे हुए हैं. दूसरी ओर सरकार ने भी कह दिया है कि कृषि कानून रद्द नहीं होंगे. सरकार में आपस में बातचीत का दौर भी लगातार जारी है. इसी कड़ी में शनिवार शाम को हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाक़ात की.

केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाक़ात के बाद तोमर ने कहा कि, एक-दो दिन में किसानों की समस्याएं हल हो जाएगी. उन्होंने कहा कि, इस समस्या का हल चर्चा के जरिए ही निकलना चाहिए. मनोहर लाल ने बताया कि, कृषि मंत्री से कृषि कानूनों पर बातचीत हुई है. जानकारी है कि, जल्द ही खट्टर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलेंगे. कृषि मंत्री के साथ खट्टर की बैठक समाप्त होने के बाद उन्होंने कहा कि, आगामी 2 से 3 दिनों में किसानों से एक बार फिर सरकार चर्चा कर सकती है और यह मुद्दा जल्द से जल्द हल होना चाहिए.

आपको जानकारी के लिए बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अब तक किसानों के बीच कई दौर की वार्ताएं हो चुकी है. पंजाब और हरियाणा के किसान केंद्र सरकार द्वारा बीते दिनों लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान आंदोलन के बाद से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसानों के साथ तीन बार जबकि एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी बैठक ले चुके हैं, हालांकि अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है. इसी बीच किसान आंदोलन का मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंच चुका है.

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने तीन याचिकाओं पर सुनवाई की थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस थमाया था. साथ ही इस मामले में अदालत द्वारा एक समिति के गठन का भी आदेश दिया गया था. इस समिति में सरकार, किसान संगठन और अन्य लोग शामिल होंगे. तीन में से एक याचिका में कहा गया था कि दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन से आम जन-जीवन को काफी परेशनी हो रही है. कई प्रकार की सर्विस दिल्ली को नहीं मिल रही है. कोर्ट ने सुनवाई में किसानों को भी सलाह दी और कहा कि, विरोध करना उनका अधिकार है, हालांकि इससे आम जन को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि किसानों को विरोध करने के तरीके में बदलाव करना होगा.