Harda Factory Blast : मुआवजे की मांग को लेकर पीड़ितों की भूख हड़ताल जारी, कहा – उजड़े घर 1.25 लाख रुपए में कैसे बनाएं?

Deepak Meena
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Harda Factory Blast Victims Strike : 6 फरवरी को मध्यप्रदेश के हरदा में पटाखा फैक्ट्री विस्फोट हो गया था, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी वहीं सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। इतना ही नहीं इस विस्फोट में कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे। ऐसे में अब क्षतिग्रस्त हुए घरों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर पीड़ित परिवारों का भूख हड़ताल जारी है।

बता दें कि, आज हड़ताल का चौथा दिन है। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें घर बनाने के लिए महज 1.25 लाख रुपये मिले हैं, जो कि अपर्याप्त है। वे मांग कर रहे हैं कि प्रशासन उनके घरों का निर्माण करवाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे।

घंटाघर चौराहे पर धरना दे रहे पीड़ितों ने बताया कि वे 20 दिनों से आईटीआई कॉलेज में बने राहत शिविर में रह रहे हैं। तीन हफ्ते बीत जाने के बाद भी उनका जीवन सामान्य नहीं हो पाया है। धरना प्रदर्शन में शामिल महिलाओं की तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

सर्व समाज का समर्थन:

पीड़ितों को सर्व समाज का समर्थन मिल रहा है। पीड़ितों का कहना है कि कलेक्टर अब तक उनसे मिलने नहीं आए हैं और उनकी मांगों पर कोई बातचीत नहीं हुई है। एसडीएम केसी परते का कहना है कि पीड़ितों का प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मिल चुका है और कलेक्टर के आश्वासन पर धरना समाप्त हो जाएगा।

59 मकान क्षतिग्रस्त:

विस्फोट में 59 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे, जिनमें से 39 पूरी तरह से तहस-नहस हो गए थे। इनमें से 21 मकानों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हुआ था। 48 परिवारों के 129 लोगों को राहत शिविर में रखा गया है।

पीड़ितों की मांग:

मृतकों के परिजनों को 15 लाख और घायलों को 5 लाख रुपये मुआवजा मिले।
क्षतिग्रस्त घरों के निर्माण के लिए बाजार भाव से पैसा मिले।
किराएदारों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 2.5 लाख रुपये राहत राशि दी जाए।
विकलांगों और मृतकों के आश्रितों को रोजगार मिले।
मृतकों की सही संख्या जानने के लिए विशेष टीम गठित हो।
हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में एसआईटी और फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित हो, जिसमें पीड़ितों का प्रतिनिधि शामिल हो।
मामले में उचित कार्रवाई नहीं करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों पर भी केस दर्ज हो।
जिम्मेदार अधिकारियों की निशानदेही कर उनके खिलाफ आपराधिक अभियोग दर्ज हो।
राजेश अग्रवाल एवं मुख्य आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामलों में एनएसए, बाल श्रम समेत हत्या के अन्य तर्कसंगत धाराएं जोड़ी जाएं।
विस्फोट की तीव्रता और प्रकार जानने के लिए विशेष फॉरेंसिक टीम का गठन और स्वतंत्र लैब में जांच हो।