गुरुदेव श्री श्री रविशंकर 25 को आएंगे इंदौर, हनुमान चालीसा पाठ, योग, ध्यान और महारुद्र पूजा में होंगे शामिल

Share on:

इंदौरा 180 से भी अधिक देशों में मानव विकास के साथ ही आध्यात्मिक विकास में लगी हुई संस्था आ ऑफ निबिंग के प्रोता और संस्थापक आध्यात्मिक गुरु पद्मविभूषित परम पूज्य श्री श्री रविशंकर जी 24 से 27 मार्च तक मध्य प्रदेश प्रवास पर रहेंगे। इस दौरान वे जबलपुर और इंदौर शहर आएंगे। गुरुदेव के मध्य प्रदेश प्रवास का शुभारंभ संस्कारधानी जबलपुर से 24 मार्च को होगा। जबलपुर में कार्यक्रमों में के बाद गुरुदेव का 25 मार्च को इंदौर आगमन होगा। गुरुदेव के सानिध्य में 25 मार्च को इंदौर के पिवेश्वर हनुमान धाम मंदिर, गांधीनगर में 51 हजार भक्तों के साथ श्री हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन किया जाएगा। हनुमान चालीसा के इस आयोजन में शहर के सभी लोग शामिल हो सकते हैं। इसके उपरांत 26 मार्च को सुबह 10 बजे से 7 बजे तक विज्ञान भैरव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें गुरुदेव द्वारा भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को बताई गई ध्यान की 112 विशेष गूड तकनीकों का ज्ञान और ध्यान का अनुभव साधकों को कराया जाएगा। इस आयोजन में पूर्व पंजीकरण से प्रवेश है। इसके उपरांत 27 मार्च को सुबह 6:30 से योग मित्र नार्यक्रम के अंतर्गत महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव जी के साथ में गुरुदेव के सानिध्य में विजय क्रिकेट क्लब दशहरा मैदान पर योग का आयोजन किया गया है। इस आयोजन के तुरंत बाद गुरुदेव विशाल महारुद्र पूजा में शामिल होंगे। आर्ट ऑफ लिविंग के परिष्ट प्रशिक्षक मनोज रानील जैन, मनीष सोनी, तेजवीर सिंह एवं अपेस मेम्बर मोनल पटेल ने शहर के सभी भक्त गुरुदेव के कार्यों में सादर उपस्थिति का आग्रह किया गया है।

कौन हैं श्री श्री

भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में शांतिदूत के रूप में प्रसिद्ध पद्मविभूषित श्रीश्री रविशंकर एक परोपकारी नेता, आध्यात्मिक शिक्षक और वास्तव में शांति के दूत है। 13 मई 1956 को तमिलनाडू में जन्मे श्रीधी महज चार साल की उम्र में न सिर्फ श्रीमद्भागवत के कुछ बोल रहे थे कि बालसुलभ शरारतों के साथ ही तभी से ही संपूर्ण विश्व में शांति स्थापित करने के विषय में चिंतन करने लगे थे। पीधी ने 1973 में महज सत्रह साल की उम्र में वैदिक साहित्य और भौतिरी दोनों विषयों में खातक की डिग्री हासिल कर सी थी। एक तनाव एवं हिंसा मुक्त समाज के निर्माण की परिकल्पना को उन्होंने 1982 को आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना कर साकार करना प्रारंभ किया। उनकी दृष्टि ने आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा प्रस्तुत की गयी सेवा परियोजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से दुनिया भर के लाखों लोगों को एकजुट किया। पीथी ने आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना एक अंतर्राष्ट्रीय, गैर-नाभकारी, शैक्षिक और मानवीय संगठन के रूप में की। इसके शैक्षिक और आत्म-विकास के कार्यक्रम, तनाव को सत्म करने और स्वास्थ्य प्राप्ति की भावना को बढ़ावा देने के लिए शक्तिशाली विधियाँ प्रदान करते हैं। 1997 को धीधी ने इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यु की स्थापना लोगों को वैश्विक स्तर पर आपस में जोड़ने वाले मूल्यों को फैलाने के उद्देश्य ने की। आईएएचची स्थायी विकास परियोजनाओं के समन्वय के साथ ही मानवीय मूल्यों का पोषण करता है और संघर्ष के समाधान की पहल करता है।

बीवी के कार्यक्रमों ने विश्वभर में अनेक प्रकार की पृष्ठभूमि के लोगों को सहायता प्रदान की। प्राकृतिक आपदाओं के शिकार, आतंकी हमलों और युद्ध से बचे लोग, अधिकारविहीन आबादी के बच्चे, संघर्षरत समुदाय आदि उनमें से हैं। उनके संदेश की शक्ति ने स्वयंसेवकों के एक विशाल समूह के माध्यम से आध्यात्मिकता पर आधारित सेवा की लहर को प्रेरित किया है, जो इन परियोजनाओं को दुनिया भर के संकटमय क्षेत्रों में आगे बढ़ा रहे हैं। एक आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में, श्रीश्री ने योग और ध्यान की परंपराओं को फिर से जीवंत किया और उन्हें एक ऐसे रूप में प्रस्तुत किया जो 21वीं सदी के लिए प्रासंगिक है। प्राचीन ज्ञान को पुनर्जीवित करने के अलावा, गुरुदेव ने व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन के लिए नई विधियों का निर्माण किया है। इनमें सुदर्शन क्रिया शामिल है जिसने लाखों लोगों को तनाव से राहत पाने और दैनिक जीवन में ऊर्जा के आंतरिक भंडार और आंतरिक मौन की खोज करने में मदद की है।

Also Read : जाति, राष्ट्रीयता और धर्म से परे जाकर गुरुदेव ने एक विश्व परिवार के संदेश को फिर से किया प्रकाशित

शांति के दूत के रूप में, गुरुदेव ने दुनिया भर में संघर्ष समाधान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वे विश्व भर में सार्वजनिक मंचों और सभाओं में अहिंसा के प्रति अपने दृष्टिकोण को साझा करते हैं। शांति प्रसार के एकमात्र लक्ष्य के साथ उन्हें एक तटस्थ व्यक्ति के रूप में माना जाता है, वह संघर्षरत लोगों के जीवन में आशा जगाते हैं। उन्होंने कोलंबिया, इराक, आइवरी कोस्ट, कश्मीर और बिहार में विरोधी दलों को बार्ता की मेज पर लाने का विशेष श्रेय प्राप्त किया है। फिर चाहे 2001 में वल्ड ट्रेड ऑर्गनाईजेशन पर हमले के बाद न्यूयार्क के लोगों को तनाव दूर करने निःशुल्क कोर्स कराना हो, 2003 में ईराक में युद्ध प्रभावित लोगों को तनाव मुक्ति के उपाय बताना हो, शिवा, सुधी और कुरदिश नेताओं से चर्चा की बात हो या फिर 2004 में पाकिस्तान के उन नेताओं के मुलाकात करना हो जो विश्वशाति के पक्षधर थे, श्रीथी शांति के लिए हर मोर्चे पर डटे रहे। दुनिया भर के कैदियों के उत्थान के लिए भी श्रीथी की प्रेरणा से संस्था के लोग विश्व भर में प्रयासरत हैं। अपने प्रयासों और भाषणों के माध्यम से, गुरुदेव ने मानवीय मूल्यों को मजबूत करने और इसे पहचानने की आवश्यकता पर लगातार जोर दिया कि हम सभी एक विश्व परिवार से हैं। विभिन्न विश्वासों के मध्य सद्भाव को बढ़ावा देना और कट्टरता को दूर करने के लिए बहुसांस्कृतिक शिक्षा का उपाय करना, स्थायी शांति प्राप्त करने के उनके प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। गुरुदेव ने मानवीय मूल्यों और सेवा के पुर्नजागरण के माध्यम से दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन को स्पर्श किया है।