शुरू होने जा रही गुप्त नवरात्रि, इस दिन से प्रारंभ होगा बगलामुखी यज्ञ

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सर्वसिद्ध बगलामुखी तारा महाशक्ति पीठ बिजाना शाजापुर मध्यप्रदेश में बगलामुखी यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। यह पवित्र यज्ञ अनुष्ठान 30 जुन से प्रारम्भ होगा तथा 8 जुलाई 2022 को यज्ञ की पूर्णाहुति की जाएगी। देश व मानवता के कल्याण के उद्देश्य से किया जा रहा यह यज्ञ अनुष्ठान पुरे विधि विधान एवं शास्त्रोक्त पद्धति के द्वारा विद्वान् आचार्यों एवं श्रद्धालु भक्त गणों की उपस्थिति में सम्पन्न होगा।

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मां बगलामुखी हैं संसार का कल्याण करने वाली तथा शक्ति और विजय दिलाने वाली देवी

सनातन वैदिक सभ्यता के अनुसार मां बगलामुखी संसार का कल्याण करने वाली देवी हैं। बगलामुखी माता की पूजा; शक्ति और विजय के लिए की जाती है। पीताम्बरा विद्या के नाम से विख्यात मां बगलामुखी की साधना प्रायः शत्रुभय से मुक्ति और वाकसिद्धि के लिये की जाती है। माता स्वयं पीली आभा से युक्त हैं और इनकी पूजा में पीले रंग का विशेष प्रयोग होता है।

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बगलामुखी माता को स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है इनका यज्ञ दुष्ट व्यक्तियों, आत्माओं और यक्षिणी के प्रभाव को दूर करने में भी लाभकारी है। इस यज्ञ और यज्ञ के पूरा होने के बाद, देवी बगलामुखी अपने भक्तों को जीवन की सभी परेशानियों से लड़ने और सुख और धन से भरपूर जीवन जीने की शक्ति प्रदान करती हैं। भक्त के शत्रु भी नष्ट हो जाते हैं और भक्त के चारों ओर कोई भी बुरी शक्ति नहीं उपस्थित नहीं हो पाती है।

सनातन धर्म में यज्ञ का महत्व

सनातन धर्म के अनुसार सृष्टि में यज्ञ एक अनादि महानुष्ठान है। यज्ञ से देवी-देवता, मनुष्य अर्थात संसार के सभी प्राणियों का जनकल्याण होता है। यज्ञ की ऊष्मा मनुष्य के अंतःकरण पर देवत्व की छाप डालती है। जहाँ यज्ञ होते हैं, वह भूमि एवं प्रदेश सुसंस्कारों की छाप अपने अन्दर धारण कर लेता है और वहाँ जाने वालों पर दीर्घकाल तक प्रभाव डालता रहता है। जिन घरों में, जिन स्थानों में यज्ञ होते हैं, वह भी एक प्रकार का तीर्थ बन जाता है और वहाँ जिनका आगमन रहता है, उनकी मनोभूमि उच्च, सुविकसित एवं सुसंस्कृत बनती हैं। वैज्ञानिक आधार पर भी यज्ञ अनुष्ठान मनुष्य एवं प्रकृति के लिए शुभ फलदायक ही सिद्ध हुआ है।