गुप्त नवरात्रि 2021: नवरात्रि का तीसरा दिन आज, त्रिपुर सुंदरी को खुश करने के लिए जरूर पड़े ये बीज मंत्र

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आज आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन है। ये गुप्त नवरात्रि 18 जुलाई तक रहेगी। नवरात्रों में दुर्गा मां और उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। आज त्रिपुरा सुंदरी की साधना की जाती है। आपको बता दे, साल में चार बार नवरात्रि आती है।

इनमें आश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है। दूसरी प्रमुख नवरात्रि चैत्र मास की होती है। इसके अलावा आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि गुप्त रहती है। गुप्त नवरात्रि का भी अपना खास महत्व है।

मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। इस दौरान भक्त त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बंगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।

पूजा विधि –

बता दे, सबसे पहले व्रत रखने वाला शख्स पूजा का संकल्प लेता है। वहीं गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होती है कलश स्थापना से। कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा की श्री रूप लाल रंग के पाटे पर सजाते हैं। इसके साथ हर दिन सुबह-सुबह मां दुर्गा की पूजा करते हैं। अष्टमी या नवमी को हम नौ कन्याओं को खाना खिलाकर नवरात्रि के व्रत का समापन करते हैं।

दस महाविद्या पूजा मंत्र –

काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी।
भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा।
बगला सिद्ध विद्या च मातंगी कमलात्मिका
एता दशमहाविद्याः सिद्धविद्या प्रकीर्तिताः॥

1. काली
मंत्र “ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः”

2. तारा
देवी काली ही, नील वर्ण धारण करने के कारण ‘तारा’ नाम से जानी जाती हैं ।

तारास्तोत्रम्
मातर्नीलसरस्वति प्रणमतां सौभाग्यसम्पत्प्रदे
प्रत्यालीढपदस्थिते शवहृदि स्मेराननाम्भोरुहे ।
फुल्लेन्दीवरलोचने त्रिनयने कर्त्रीकपालोत्पले खङ्गं
चादधती त्वमेव शरणं त्वामीश्वरीमाश्रये ॥१॥

3. गुप्त नवरात्रि तीसरे दिन त्रिपुर सुंदरी

ललिता त्रिपुर सुंदरी बीज मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः।

बाला त्रिपुर सुंदरी बीज मंत्र

ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:

माँ त्रिपुरी सुन्दरी ध्यान मंत्र –

1.बालार्कायुंत तेजसं त्रिनयना रक्ताम्ब रोल्लासिनों। नानालंक ति राजमानवपुशं बोलडुराट शेखराम्।।
हस्तैरिक्षुधनु: सृणिं सुमशरं पाशं मुदा विभृती। श्रीचक्र स्थित सुंदरीं त्रिजगता माधारभूता स्मरेत्।।

2.ऊं त्रिपुर सुंदरी पार्वती देवी मम गृहे आगच्छ आवहयामि स्थापयामि।
(षोडशी – त्रिपुर सुन्दरी साबर मंत्रं)

ॐ निरन्जन निराकार अवधू मूल द्वार में बन्ध लगाई पवन पलटे गगन समाई, ज्योति मध्ये ज्योत ले स्थिर हो भई ॐ मध्या: उत्पन्न भई उग्र त्रिपुरा सुन्दरी शक्ति आवो शिवघर बैठो, मन उनमन, बुध सिद्ध चित्त में भया नाद | तीनों एक त्रिपुर सुन्दरी भया प्रकाश | हाथ चाप शर धर एक हाथ अंकुश | त्रिनेत्रा अभय मुद्रा योग भोग की मोक्षदायिनी | इडा पिंगला सुषुम्ना देवी नागन जोगन त्रिपुर सुन्दरी | उग्र बाला, रुद्र बाला तीनों ब्रह्मपुरी में भया उजियाला | योगी के घर जोगन बाला, ब्रह्मा विष्णु शिव की माता |

त्रिपुर सुन्दरी गायत्री मंत्र –

बालाशक्तयै च विद्महे त्र्यक्षर्यै च धीमहि तन्नः शक्तिः प्रचोदयात् |

पूजा सामग्री –

पूजा के लिए कई चीजों की जरुरत होती है। जिसमें 7 तरह के अनाज, पवित्र नदी की रेत, पान, हल्दी, सिक्का, सुपारी, चंदन, रोली, रक्षा, जौ, कलश, गंगाजल, मौली, अक्षत्, पुष्प जैसी चीजें प्रमुख हैं।

महत्व –

बता दे, प्रत्यक्ष नवरात्रि में देवी के नौ रूप और गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की पूजा की जाती है। ऐसे में इस नवरात्रि में विशेषकर शक्ति साधना, तांत्रिक क्रियाएं, मंत्रों को साधने जैसे कार्य किए जाते हैं। साथ ही इस नवरात्र में देवी भगवती के भक्त कड़े नियम के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। मंत्रों, तांत्रिक क्रियाएं और शक्ति साधना की मदद से लोग दुर्लभ शक्तियां अर्जित करना चाहते हैं।

शुभ मुहूर्त –

नवरात्रि शुरू – रविवार 11 जुलाई 2021
नवरात्रि समाप्त – रविवार 18 जुलाई 2021
कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 05 : 31 मिनट से 07 : 47 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11 : 59 मिनट से 12 : 54 मिनट तक
प्रतिपदा तिथि 10 जुलाई को सुबह 07 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी, जो कि रविवार 11 जुलाई को सुबह 07 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी।

11 जुलाई – प्रतिपदा मां शैलपुत्री, घटस्थापना
12 जुलाई – मां ब्रह्मचारिणी देवी पूजा
13 जुलाई – मां चंद्रघंटा देवी पूजा
14 जुलाई – मां कुष्मांडा देवी पूजा
15 जुलाई – मां स्कंदमाता देवी पूजा
16 जुलाई षष्ठी- सप्तमी तिथि – मां कात्यानी मां कालरात्रि देवी पूजा
17 जुलाई अष्टमी तिथि – मां महागौरी, दुर्गा अष्टमी
18 जुलाई नवमी – मां सिद्धिदात्री, व्रत पारण