गुजराती समाज इंदौर के 100 वर्ष पुरे होने के उपलक्ष्य में मैराथन और पतंगोत्सव का करेगा आयोजन

Suruchi
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गुजराती समाज, इन्दौर के अपने 100 वें वर्ष में प्रवेश करते वक्त मैराथन दौड़ का आयोजन कर रहा है, जिसमें 100वें वर्ष का उद्घाटन किया जावेगा। साथ ही पूरे वर्ष 2023 में विभिन्न आयोजन किये जावेंगें, जो समाज के एवं शहर के तथा प्रदेश के लोगो के लिए किये जावेंगे। गुजराती समाज, इन्दौर अपने 100वें वर्ष में कई सामाजिक, शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य और इन्दौर की सबसे बड़ी समस्या यातायात को लेकर अपना योगदान शताब्दी वर्ष में करने जा रहा है।

इन आयोजनो में जो देश व विदेश में बसे हुए गुजराती समाज के पूर्व छात्र, पूर्व शिक्षक, पूर्व प्राचार्य इन सभी को समय-समय पर कार्यक्रमों को याद कर शामिल किया जावेगा। साथ ही देश-विदेशो में विशिष्ट पदों पर आसीन उपलब्धियाँ हासिल किये हुए पूर्व छात्रों एवं वर्तमान छात्रों का सम्मान  गुजराती समाज, इन्दौर द्वारा किया जावेगा। शताब्दी वर्ष में आप सभी को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि गुजराती समाज, इन्दौर एक स्वर्णिम इतिहास के साथ आपके सामने उपस्थित है, जिसकी प्रारंभिक यात्रा कुछ इस प्रकार है।

गुजराती समाज शिक्षा के लिए समर्पित एक विशाल केन्द्र है। यह इन्दौर का ही नहीं बल्कि प्रदेश का सबसे बड़ा शिक्षा संकुल है। गुजरात से आये हुए व्यावसायिक रूप में साहसिक गुजरातियों ने अपनी भाषा और संस्कृति से जीवंत सम्पर्क बनाये रखने हेतु वर्ष 1923 में जेलरोड़ पर मात्र 7 छात्रों की संख्या से एक छोटा-सा स्कूल प्रारंभ किया। संख्या वृद्धि एवं स्थान की समस्या को देखते हुए स्व. लाभाई नाथाभाई पटेल, स्व. पुरुषोत्तमदास गोरधनदास पटेल एवं स्व. मणीलाल बलदेवदास परीख के प्रयत्नों द्वारा सियांगज में एक किराये के मकान से स्कूल का संचालन किया गया।

उसके पश्चात् इनके प्रयत्न एवं दानशीलता के कारण इस छोटे से स्कूल ने 1925 एवं 1932 में क्रमशः प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय का रूप ले लिया। वर्ष 1942 के आते-आते इस विद्यालय को विशाल आकार देने के लिए सेठ ने रुपये 35000/- दान दिये एवं अपने साथियों के साथ भागीरथ प्रयत्न से नगर नगर, द्वार द्वार से 1,80,000/- रुपये एकत्रित किए। इन्हीं प्रयासों का मूर्तरूप वर्ष 1946 में आर. आर. एम. बी. गुजराती हायर सेकेण्डरी विद्यालय प्रारंभ किया गया, जिसमें इच्छाबाई टॉवर का निर्माण किया गया, जो गांधीहॉल के पश्चात् जो घड़ी की स्थापना हुई है व गुजराती समाज, इन्दौर द्वारा की गई।

वर्ष 1948 की वल्लभभाई पटेल की इन्दौर यात्रा ने यहाँ के गुजरातियों में एक नया जोश भर दिया और वे सम्पूर्ण भारतीयों के लाभार्थ का दृष्टिकोण अपनाकर विकास कार्यों में जुट गये। वर्ष 1952 में इण्टर कॉलेज की स्थापना की गई, जिसमें विज्ञान एवं वाणिज्य विषयों का अध्यापन होता था। नौकरी पेशा वर्ग हेतु 1956 में रात्रिकालीन कला संकाय प्रारंभ किया गया। इस इण्टर कॉलेज को वर्ष 1958 में डिग्री कॉलेज बना दिया गया। वर्ष 1963 में दानवीर  गोवर्धनदास पटेल ने अपने पिता की स्मृति में घेलाभाई नाथाभाई पटेल बाल मंदिर का निर्माण महारानी रोड़ पर कराया।