गुजरात दंगे के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया हैं। जिसमें तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि, उनकी रेगुलर बेल पर हाई कोर्ट फैसला सुना सकता है। लेकिन तीस्ता को जांच एजेंसियों के साथ सहयोगऔर अपना पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ेगा। बता दें, 2002 के दंगे से जुड़ा मामला हैं।
कोर्ट के मुताबिक, तीस्ता को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ेगा। जब तक हाई कोर्ट से उन्हें रेगुलर बेल नहीं मिल जाती, वे देश के बाहर नहीं जा सकतीं। वहीं तीस्ता को इस मामले में जांच एजेंसियों को लगातार अपना सहयोग देना होगा। कोर्ट का कहना है कि वे तीस्ता को बेल पर नहीं छोड़ रहे हैं, सिर्फ जब तक हाई कोर्ट द्वारा रेगुलर बेल पर कोई फैसला नहीं आ जाता, कोर्ट द्वारा उन्हें अंतरिम जमानत दी जा रही है।
2002 दंगे से जुड़ा है मामला
अब जिस मामले में ये सुनवाई हुई है वो 2002 के गुजरात दंगे से जुड़ा हुआ है। तीस्ता पर आरोप है कि उन्होंने गवाहों को भड़काया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री (अब प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने की एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ अपने स्वार्थ सिद्ध करने में जुटी रहीं। कोर्ट ने संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार की ओर से झूठा हलफनामा दायर किए जाने का भी जिक्र किया था।
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दलीलें सुनने के बाद दिया फैसला
लेकिन अभी के लिए कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को बड़ी राहत दी है। गुरुवार को भी सुनवाई के दौरान कहा गया था कि तीस्ता पर ऐसी कोई धाराएं नहीं लगी हैं कि उन्हें जमानत ना दी जा सके। आज शुक्रवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि तीस्ता को अंतरिम जमानत दी जा सकती है।
वैसे सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल और एसजी तुषार मेहता के बीच तीखी बहस देखने को मिली थी। एक वक्त तो ऐसा भी आ गया जहां पर सिब्बल ने कहा कि 124 लोगों को उम्रकैद हुई है तो ये कैसे कह सकते हैं कि गुजरात में कुछ हुआ ही नहीं। ये सब एक उद्देश्य के लिए है, ये चाहते हैं कि तीस्ता ताउम्र जेल से बाहर ही ना आए। वहीं जवाब में तुषार मेहता ने भी कह दिया कि ये 2002 से यही सब कर रह हैं। संस्थानों पर उंगली उठाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।