केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विलय कर दिया है और इस योजना के तहत वंचितों को दिए जा रहे मुफ्त राशन की अवधि को भी दिसंबर, 2023 तक बढ़ा दिया है। इस अधिनियम के तहत देश के 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन मुहैया कराया जाएगा।
आपको बता दें इस योजना के बाद केंद्र सरकार को अब दो लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा और अनाज का भंडारण भी अधिक करना होगा। केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत चावल 3 रुपये प्रति किलो, गेंहू 2 दो रुपये प्रति किलो और मोटा अनाज 1एक रुपये प्रति किलो की दर से देती है। सरकार ने फैसला लिया है कि दिसंबर 2023 तक यह पूरी तरह से मुफ्त में मिलेगा. इससे 81.35 करोड़ लोगों को फायदा होगा।
क्या है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान अधिनियम
कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA-2 सरकार ने 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) बनाया था। यह कानून कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी की देन है। यह स्वतंत्र भारत के इतिहास का पहला ऐसा कानून है, जिसमें भोजन का अधिकार दिया गया है। 2011 की जनगणना के आधार पर देश की 67 फीसदी आबादी (75 फीसदी ग्रामीण और 50 फीसदी शहरी) को इस कानून के दायरे में लाया गया है।
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किसको मिलेगा इस योजना का फायदा
इसका उद्देश्य लोगों को गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण भोजन की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित कराना है, ताकि लोगों खाद्य और पोषण सुरक्षा दी जा सके। इस कानून के तहत 75 फीसदी ग्रामीण आबादी और 50 फीसदी शहरी आबादी को कवरेज मिला है, जिन्हें बेहद कम कीमतों पर सरकार द्वारा अनाज मुहैया कराया जाता है।