गोपाल भार्गव : राजनीति का सफर आसान नहीं, जेल में बितानी पड़ी थी रातें

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भोपाल। गोपाल भार्गव का जन्म एक जुलाई 1952 को रहली जिला सागर में हुआ। उन्होंने विज्ञान में स्नातक (बी.एस.सी) तथा एल.एल.बी. तक शिक्षा प्राप्त की। भार्गव युवावस्था से ही सामाजिक गतिविधियों से जुड़े रहे। उन्होंने मजदूरों, किसानों, बीड़ी कामगारों के लिये विभिन्न गतिविधियों और आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। वे कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं। संघर्षशील व्यक्तित्व के धनी भार्गव को कई बार राजनैतिक आंदोलनों के फलस्वरूप जेल भी जाना पड़ा।

भार्गव राजनीतिक गतिविधियों में भी अहम भूमिका निर्वहन करते रहे हैं। वे वर्ष 1982 से 1984 तक नगर पालिका गढ़ाकोटा के अध्यक्ष रहे। भार्गव 1985 में विधानसभा सदस्य चुने गये। उन्होंने विधायक के रूप में अपने क्षेत्र के विकास में गहन रुचि ली। वर्ष 1985 के बाद वे निरंतर विधानसभा के सदस्य हैं। भार्गव को 8 दिसंबर, 2003 को उमा भारती के मंत्रिमंडल में केबिनेट मंत्री के रू b \प में शामिल कर कृषि, राजस्व, धार्मिक न्यास और धर्मस्व, पुनर्वास व सहकारिता विभाग का दायित्व सौंपा गया। 28 जून 2004 को हुए मंत्रिमंडल के पुनर्गठन के बाद एक जुलाई 2004 को आपको कृषि एवं सहकारिता विभाग का उत्तरदायित्व सौंपा गया।

भार्गव को 27 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में शामिल किया गया। भार्गव को 4 दिसम्बर 2005 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के मंत्रिमंडल में शामिल कर मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। गोपाल भार्गव को कृषि और सहकारिता विभाग का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया। दिसंबर 2008 में सम्पन्न विधान सभा चुनाव में छटवीं बार रहली विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुये। भार्गव को 20 दिसंबर 2008 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के मंत्रिमंडल में शामिल कर मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। गोपाल भार्गव वर्ष 2013 में पुनः रहली विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। उन्होंने 21 दिसम्बर, 2013 को केबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। 2020 में शिवराज केबिनेट में मंत्री बने ।