नई दिल्ली। देश के किसानों के लिए खुशखबरी है। दरअसल, सरकार ने प्रधानमंत्री-कुसुम योजना का दायरा बढ़ा दिया है। अब, दायरा बढ़ने के बाद किसानों को नया अलॉटमेंट लेटर जारी होगा। साथ ही वे अपना बिजली संयंत्र शुरू कर सकेंगे। वही राहत की बात ये है कि, अगर बिजली उत्पादन निर्धारित न्यूनतम क्षमता से कम होता है, उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।
दरअसल, यह मंजूरी कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने दी है। वही, जारी बयान के अनुसार, अब बंजर, परती, कृषि भूमि, चारागाह और दलदली भूमि पर भी सौर बिजली संयंत्र लगाए जा सकते हैं। साथ ही छोटे किसानों की मदद के लिये 500 किलोवाट से कम क्षमता वाली परियोजनाओं को प्रदेश भी मंजूरी दे सकते हैं। मंत्रालय के बयान के अनुसार, चुने गए नवीन ऊर्जा उत्पादकों को अनुबंध आवंटन पत्र मिलने की तारीख से 12 महीने के भीतर सौर बिजली संयंत्र शुरू करना होगा। तकनीकी-वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर निर्भर करेगी।
बता दे कि, केन्द्र सरकार की कुसुम योजना के तहत सैकड़ों किसानों को सौर ऊर्जा संयंत्र आवंटित किए गए हैं। राजस्थान देश का पहला प्रदेश है जिसने किसानों की चयन प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है और देश के अन्य प्रदेशों की अपेक्षा यहां कुसुम योजना में सर्वाधिक क्षमता के सौर संयंत्र स्थापित होंगे।
वही, किसानों के द्वारा स्थापित संयंत्रों से उत्पादित विद्युत वितरण कम्पनियों ने 3.14 रूपये प्रति यूनिट की दर से बिजली क्रय करेगी। चयनित किसानों एवं विकासकर्ताओं को संयंत्र स्थापित करने में किसी प्रकार की परेशानी ना हो इस के लिए राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम में एक विशेष सहायता प्रकोष्ठ स्थापित किया जायेगा। इसमें कोई भी चयनित किसान या विकासकर्ता इस सहायता प्रकोष्ठ से संपर्क कर अपनी समस्या का समाधान करा सकेंगे।
साथ ही, शर्मा ने बताया कि, राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित को ध्यान में रखते हुये बजट घोषणा 2019-20 में कुल 2600 मेगावॉट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र किसानों की भूमि पर स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। यह लक्ष्य आगामी तीन वर्ष में प्राप्त करना प्रस्तावित है। कुसुम योजना अन्तर्गत प्रथम चरण में 722 मेगावॉट के बाद शेष बची 1878 मेगावॉट क्षमता स्थापना के लिए अगले चरण की प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जाएगी।