राजमाता माधवी राजे सिंधिया नेपाली राजपरिवार की राजकुमारी थीं। उनके दादा जुड शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधान मंत्री थे। वह राणा राजवंश के मुखिया भी थे। शादी से पहले उनका नाम राजकुमारी किरण राजलक्ष्मी था। माधव राव सिंधिया से शादी के बाद उनका नाम मराठी परंपरा के अनुसार बदल दिया गया। उन्हें राजमाता माधवी राजे के नाम से जाना जाने लगा।
‘शादी के दौरान मंच पर लगाई गई थीं सोने की कुर्सियाँ’
9 मई 1966 को माधव राव और माधवी राजे की शादी हुई। इस शाही शादी के दौरान मंच पर सोने की कुर्सियाँ लगाई गई थीं, जिस पर दूल्हे माधव राव और दुल्हन माधवी राजे बैठे थे। माधवी राजे राजघराने से ताल्लुक रखती थीं। उनके पति माधव राव सिंधिया भी लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री रहे। इसके बाद भी उन्हें हमेशा सादगी पसंद रही। वह शहर में सार्वजनिक कार्यक्रमों में बिना गाड़ियों के काफिले में जाना पसंद करती थीं।
शादी के लिए चलायी गयी थी स्पेशल ट्रेन
माधवी और माधवराव का रिश्ता ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने तय किया था। माधवी राजे की शादी साल 1966 में माधवराव सिंधिया से हुई थी। यह उस दौर की शाही शादी थी, जो काफी चर्चा में रही थी। जानकारी के मुताबिक ये शादी दिल्ली में हुई। जुलूस में शामिल होने के लिए ग्वालियर के लोगों के लिए एक विशेष ट्रेन भी चलाई गई थी। जिसमें देश-विदेश से आए मेहमानों ने हिस्सा लिया।
कई मंत्रियों ने किये राजमाता के अंतिम दर्शन
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत कई बीजेपी नेता राजमाता के अंतिम दर्शन करने पहुंचे। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, राज्यसभा सांसद अशोक सिंह और पूर्व विधायक कुणाल चौधरी दिल्ली पहुंचे और माधवी राजे को श्रद्धांजलि दी।