इंदौर (Indore News) : शहर में इन दिनों जमीनों के जादुगरों के अलावा सोना-चांदी के 8 से अधिक कारोबारियों पर आयकर विभाग ने पिछले दो सप्ताह से अपनी नजर लगा रखी थी। इस दौरान डायरियों के बड़े लेन-देन का मामला भी सामने आया है, तो वहीं सोने-चांदी के तीन कारोबारियों के यहां पूंजी एक नंबर में करने के लिए बड़ी तादाद में बिल फाड़े गए हैं। अब इंदौर में किसी भी दिन आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई होना तय है। इसके लिए अन्य जगहों से भी टीम समेटी जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि इंदौर में पिछले दिनों जमीनों के भाव में आए भारी उछाल के बाद बड़ी तादाद में हो रही रजिस्ट्रियों में बड़ा लेन-देन नकद का भी हुआ है। इसके अलावा डायरियों पर 10 से अधिक बिल्डरों ने अपनी जमीनों पर प्लाट बेच दिए हैं। अभी तक किसी भी जमीन पर विकास अनुमति और टीएनसी की अनुमति नहीं हुई है, जबकि 500 करोड़ रुपए से अधिक का नकद रुपया डायरियों पर ही समेटा गया था। इसमें दो ही बड़े बिल्डरों ने दो नंबर के 200 करोड़ रुपए से ज्यादा उगा लिए है। सारा लेनदेन दो नंबर का ही अभी तक हो पाया है।
डायरियों में लाखों रुपए लेकर ईकाई अंकों में ही लिखा गया है। इस मामले में दो बिल्डरों के फोन भी नजर में लिए गए थे। इसके अलावा रेडिमेड काम्पलेक्स में बैठे दो दलालों ने भी लाखों रुपए दो नंबर में लोगों से लेकर डायरियां बनाई थी। अगले कुछ दिनों में यहां आयकर की बड़ी कार्रवाई होती दिखाई देगी। तो वहीं सोने-चांदी के 5 से अधिक कारोबारियों के यहां दो नंबर के पैसों को एक नंबर की पूंजी बताने के चक्कर में बड़ी तादाद में बिल फाड़े गए हैं। छोटे-छोटे बिलों मेें फर्जी जानकारी, नाम-पते भी लिखकर जेवर बेचे गए हैं।
आयकर विभाग ने 5 से अधिक सोने-चांदी के कारोबारियों को निशाने पर लिया है। सूत्र बता रहे हैं कि अगले 10 दिनों में इंदौर में आयकर की बड़ी कार्रवाई होने की पूरी तैयारी हो चुकी है। कार्रवाई के लिए बाहर से भी अधिकारी इंदौर पहुंचेंगे। उल्लेखनीय है कि त्योहारी सीजन में इन दिनों सोने-चांदी के जेवरों के बजाय लोग ठोस सोना-चांदी खरीदने में ही भरोसा कर रहे हैं। इसीलिए कई कारोबारियों ने चैन फेस्टिवल भी चला रखा है।
कई परिवार जेवरों के बनाने में लगने वाली लागत से बचना चाहते हैं और इसीलिए इस प्रकार के जेवर खरीद रहे हैं। इधर जमीनों से जुड़े एक दावेदार ने इस मामले में बातचीत करने पर यह बताया कि शहर में डायरियो ंपर किए गए कई सौदों में अभी तक किसानों को भुगतान भी पूरा नहीं किया है। केवल एक लिखा-पढ़ी पर ही दूसरे लोगों से डायरियां बनवाई जा रही है।