भगवान इन्हें कभी माफ़ मत करना

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मुकेश मंगल

महूनाका के नवीन की माँ रेखा खाँड़े के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था। कोविड-19 से संक्रमित रेखा को नवीन ने इंदौर के सुपर स्पेसलिटी अस्पताल में 9 अप्रैल को भर्ती किया तब उसका ओक्सीजन लेवल भी ठीक था। कोविड अस्पताल होने के कारण नवीन उसकी माँ को देखने तो नहीं जा सकता लेकिन फ़ोन पर हालचाल जान लेता था। रोज़ाना माँ की पसंद का खाना और फल भी देकर आता था। तीन दिन से नवीन को नर्स एक ही बात बोल रही थी कि तुम्हारी माँ की सेहत स्टेबल है। चिंता मत करो ठीक हो जाएगी। बैचेन नवीन सोमवार को अस्पताल परिसर में बैठा बैठा सोंचने लगा कि क्या मुझे मेरी माँ को दूसरे अस्पताल ले जाना चाहिए। तभी एक व्यक्ति पास आया और उसके मरीज़ की व्यथा सुनाने लगा। दोनो में शुरू हुई बातचीत उस वार्ड तक पहुँच गई जहां अपने अपने मरीज़ भर्ती थे।

उस अनजान व्यक्ति में नवीन को बताया आप जिस वार्ड और बेड की बात कर रहे हो वहाँ तो रेखा खाँड़े नामका मरीज़ नहीं बल्कि उसका मरीज़ भर्ती है। नवीन का धैर्य साथ छोड़ने लगा और मन में शंका ने घर कर लिया था। उसने अनजान व्यक्ति से मदद माँगी और कहा मुझे विडीयो कॉल कर बताओ क्या सही में उस बेड पर आपका मरीज भर्ती है जिस पर मेरी माँ को भर्ती किया था। उस अनजान व्यक्ति की बात सही साबित हुई क्यूँकि नवीन की माँ मर चुकी थी और लाश कपड़े में लिपटी हुई मारच्युरी जमा हो चुकी थी। तीन दिन पहले भेजे गए माँ की पसंद के फल ओर खाना से भरी थैली भी लाश पर पड़ी हुई थी। नवीन के मुताबिक़ मेरी माँ तीन दिन पूर्व ही मर गई और डाक्टर उसे ज़िंदा बताते रहे।

यह कहानी अकेले नवीन की ही नहीं है। एमटीएच, अरविन्दो जैसे कई अस्पताल में अव्यवस्था का ऐसा संक्रमण फ़ेला हुआ है। जिस स्वजन की चिंता में आप दिन रात दुबले हुए जा रहे हो उसकी मौत होने के बाद भी यह नहीं बताया जाता की आप घर जाइए आपके स्वजन का शव एमवाय के पोस्टमार्टम रूम मे जमा कर दिया है।