नई दिल्ली। करीब 6 सालों में विपक्ष में बैठ रही कांग्रेस के अस्तित्व पर भी कई सवाल उठ गए हुए हैं। यह तो सभी जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में दोबारा हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष के आभाव में ही रही। हालांकि बाद में सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष की कमान संभाली।
सोमवार को 7 घंटे तक चली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर काफी बहस हुई। हालांकि इसके बाद भी पार्टी अपने नेताओं को संतुष्ट करने में कामयाब नहीं हो पाई। ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी नेताओं से कहा है कि जो कोई भी कांग्रेस का हित चाहता है वह उनके असहमति पत्र का स्वागत करेगा।
कांग्रेस की ओर से भले ही कहा जा रहा हो कि उन्होंने गुलाम नबी आजाद को समझा लिया है, हालांकि उन्होंने एक बार फिर जोर देते हुए कांग्रेस वर्किंग कमिटी का नए सिरे से चुनाव कराने की बात कही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी और राज्य प्रमुखों सहित संगठन के विभिन्न पदों पर चुनाव नहीं कराए गए तो पार्टी अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में ही बैठी रह सकती है।
बता दें कि इस बैठक के दौरान राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद समेत कांग्रेस के कई बड़े नेताओं पर भाजपा का साथ देने का आरोप लगाया था। हालांकि बाद से वे अपने आरोप से मुकर गए थें।