इंदौर। लाॅकडाउन के दौरान कई बंड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छटनी कर दी। ऐसे में के.पी.आर मिल्स के मालिक ने अपनी कंपनी के एक भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला। के.पी.आर मिल्स में अंडरवियर बनियान की एक बड़ी कंपनी है।
भारत ही नहीं दुनिया की बड़ी कंपनियां उन से माल बनवाती हैं। तिरुपुर और कोयंबटूर में उनकी 4 फैक्ट्रियां हैं जिनमें 22000 वर्कर काम करते हैं। रामास्वामी ने 17,500 हजार जो माइग्रेंट लेबर थी इसके अलावा 4500 लोकल कर्मचारी है।
लाॅकडाउन के दौरान रामास्वामी ने कर्मचारियों को अपनी फैक्ट्री के ही हॉस्टलों में ठहरने को कह दिया और कहा कि जब तक भी सवबा-कवूद चलेगा तुम लोग चिंता मत करो, तुम्हारा सारा खाना पीना ठहरना, यहां तक की मोबाइल की चार्जिंग भी मेरी तरफ से फ्री।
इंडियन एक्सप्रेस में दिए इंटरव्यू में रामास्वामी ने बताया कि लाॅकडाउन के दौरान प्रति लेबर 13500 रुपए मासिक का उसका खर्चा आया और इस नाते से कुल 30 करोड रुपए लगभग 2 महीने में खर्च हो गए। क्योंकि उसने एक भी आदमी की एक भी दिन की सैलरी भी नहीं काटी।
जब पत्रकार ने रामास्वामी से पुछा कि आपने इतना नुकसान क्यों सहन किया इस पर उन्होंने कहा मैंने दोनों बातें सोची। एक तो यह मेरी नैतिक जिम्मेवारी थी कि मैं इनको बेरोजगार ना करूं, आखिर मुझे इतना बड़ा बनाने में इन्ही लोगों का ही तो हाथ है। फिर मुझे यह भी था की लॉकडाउन के बाद मुझे भी स्किल्ड लेबर नहीं मिलेगी।