जनरल सर्जन पेशेंट के 5 से 10 साल के जीवन का विजन रखते हैं, लेकिन पीडियाट्रिक सर्जन सर्जरी के बाद 80 साल तक जीने का विजन रखते है – Dr. Ashok Kumar Laddha MYH, MGM college

Suruchi
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इंदौर.जनरल सर्जन के मुकाबले पीडियाट्रिक सर्जन का विजन अलग होता है क्योंकि कोई भी सर्जन सर्जरी करने के पश्चात 5 से 10 साल का विजन पेशेंट की लाइफ को लेकर रखता है लेकिन पीडियाट्रिक सर्जन जब 1 साल के बच्चे की भी सर्जरी करता है तो वह पेशेंट के 70 साल जीने का विजन रखता है।यह बात डॉक्टर अशोक कुमार लड्डा ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह एमवायएच हॉस्पिटल और एमजीएम मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक सर्जन और एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सवाल. पीडियाट्रिक सर्जरी किस उम्र तक के बच्चों में की जाती है, क्या इसे जनरल सर्जन से करवाना सही है

जवाब.अगर आज से कुछ सालों पहले की बात की जाए तो लोगों में पीडियाट्रिक सर्जरी को लेकर अवेयरनेस की बेहद कमी हुआ करती थी। अभी लोगों में थोड़ी अवेयरनेस आई है लेकिन इसको लेकर और जागरूकता की जरूरत है। क्योंकि बच्चों की 1 दिन से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों की सर्जरी जनरल सर्जन के बजाय पीडियाट्रिक सर्जन से करवाना बेहतर है। हमेशा इस बात का ध्यान रहे कि बच्चों की सर्जरी पीडियाट्रिक सर्जन से ही करवाएं। कई बार ऐसे केस भी हमारे पास आते हैं जो जनरल सर्जन से बच्चों की सर्जरी करवा लेते हैं इसके बाद केस काफी कॉम्प्लिकेटेड हो जाते हैं। जिससे पेशेंट की तकलीफ बढ़ जाती है।

सवाल. बच्चों में किस प्रकार की समस्या में पीडियाट्रिक सर्जरी की जाती है।

जवाब.पीडियाट्रिक सर्जरी में हम बच्चों के सारे अंगों को लेकर डील करते हैं जिसमें बच्चों का जननांग सही से ना बनना, अंडकोष नहीं बनना, हर्निया,किडनी की जन्मजात रुकावटें, किडनी में अन्य समस्याएं, पेशाब ठीक से नहीं करना, खाने की आहार नली नहीं बनना, रुकावट आना, फेफड़ों से संबंधित और अन्य प्रकार की समस्या शामिल हैं। पीडियाट्रिक सर्जरी में 1 दिन से लेकर 18 साल तक के बच्चों की सर्जरी की जाती है। जिसके तहत बच्चों का उचित ट्रीटमेंट किया जाता है। पीडियाट्रिक सर्जन जनरल सर्जन के मुकाबले बच्चों के सर से लेकर पांव तक के सभी अंगों का बेहतर इलाज करने में दक्ष रहते हैं।

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सवाल. क्या बच्चों की सर्जरी को लेकर आज भी लोगों में डर है, और अगर हां तो किस चीज को लेकर

जवाब. आज के दौर में बच्चे फास्ट फूड की ओर बढ़ रहे हैं इस वजह से बच्चों में उल्टी करने के केस बढ़ते जा रहे हैं। हमें हमारे साथ-साथ हमारे बच्चों की जीवन शैली में भी सुधार करने की बेहद आवश्यकता है कई बीमारियां जीवन शैली के सुधार से भी ठीक की जा सकती है।कई बार बच्चों की सर्जरी को लेकर मां-बाप बहुत ज्यादा घबराते हैं इस वजह से वह खुद डिमोटिवेट होते हैं साथ ही बच्चे को भी डिमोटिवेट कर देते हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता को बेहतर डॉक्टर के पास ट्रीटमेंट लेना चाहिए। आमतौर पर देखने में आता है कि मां-बाप बेहोशी से बहुत ज्यादा घबराते हैं लेकिन अब बेहोशी की दवाई एनेस्थीसिया पहले के मुकाबले काफी एडवांस हो चुकी है अब पीडियाट्रिक सर्जरी की टेक्नोलॉजी मैं भी काफी ज्यादा इंप्रूवमेंट हुआ है सही समय पर इलाज करवाने से बीमारियों को पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है।

सवाल. आज के दौर में बच्चों में किस तरह की समस्याएं बढ़ रही है, इससे बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए

जवाब.आजकल बच्चों में जन्मजात किडनी से संबंधित समस्याएं काफी देखने को मिल रही है जिसमें बच्चों की पेशाब में रुकावट और अन्य समस्याएं शामिल है इसी के साथ कई बच्चों में जननांग संबंधित समस्या भी देखने को मिलती है जिसमें उनके प्राइवेट पार्ट्स का सही अनुपात में नहीं बनना होता है। आजकल इस तरह के केस भी काफी देखने को मिल रहे हैं। इन समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं लेकिन एक कारण यह भी है कि आजकल हम जो भी फल, सब्जियां और अनाज खा रहे हैं उनमें कीटनाशकों का भरपूर उपयोग हो रहा है। इस वजह से इन चीज़ों के साइड इफेक्ट के कारण बच्चों में इस तरह की समस्या पैदा हो रही है वही शहरों में बढ़ता पॉल्यूशन भी इस तरह की बीमारी का एक कारण है। हमें पेस्टिसाइड से तैयार किए गए फूड से बचना चाहिए वही ऑर्गेनिक रूप से तैयार सब्जियों और फ्रूट की ओर बढ़ना चाहिए।

सवाल. हमारी बदलती लाइफ स्टाइल का असर बच्चों पर किस प्रकार पड़ता है, क्या इससे बच्चों में बीमारी की संभावना बढ़ती है

जवाब.आज के दौर में हमारी जीवन शैली में भी बहुत ज्यादा बदलाव हुए हैं अगर हमारे खानपान की बात की जाए तो फास्ट फूड का प्रचलन काफी बढ़ गया है यह भी आगे चलकर बच्चों में कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है। पहले के मुकाबले महिलाओं में आज के दौर में अल्कोहल और स्मोकिंग का सेवन काफी मात्रा में बढ़ गया है जिसमें यंग जनरेशन में लड़कियों द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाता है। जब एक गर्भवती महिला इसका सेवन करती हैं तो इसका असर मां के पेट में पल रहे बच्चे के ऊपर पड़ता है। इससे बच्चों की ग्रोथ पर असर पड़ता है वहीं बच्चों में कई बीमारियो का कारण भी यह बनता है। कई बार मां के पेट में सही तरह से ब्लड सप्लाई नहीं होने के कारण बच्चों में आहार नली डेवेलप नहीं हो पाती है जिसमें स्मोकिंग, लेट उम्र में शादी होना, लेट में उम्र में बच्चे पैदा होना शामिल हैं।

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सवाल. क्या कॉविड के बाद खासकर बच्चों में किसी प्रकार की समस्या सामने आ रही है

जवाब.अगर बात बच्चों में इनफेक्शियस डिजीज की करी जाए तो कॉविड के बाद से इसमें काफी इजाफा हुआ है जिसमें आमतौर पर बच्चों के लिवर में पस का जमा होना देखा जा रहा है। इस समस्या को लेकर स्टडी और एनालिसिस चल रही है पर अभी वर्तमान में इस समस्या को कॉविड के बाद से ज्यादा देखा जा रहा है। इस बीमारी में आमतौर पर घबराहट होना, सांस फूलना ऐसी समस्याएं शामिल है।अगर बच्चों के फेफड़ों में इस तरह की समस्या होती है तो उनके फेफड़ों का सही डेवलपमेंट नहीं हो पाएगा वहीं उन्हें सांस लेने में समस्या होगी। इसका सही समय पर इलाज अगर नहीं किया जाता है तो यह बच्चे के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।

सवाल. आमतौर पर बच्चों में और किस तरह की समस्या देखने में आ रही हैं

जवाब.बच्चों में आमतौर पर बार बार बुखार आना, पेशाब में परेशानी होना, खाना नहीं खाना, पेट बार-बार फूलना, लैट्रिन में खून आना, व्यवस्थित रूप से मोशन नहीं होना, इस तरह के लक्षण होने पर एक दो बार दिखाने के बाद फिर भी अगर बच्चे में कोई समस्या बनी रहती है तो उसे पीडियाट्रिक डॉक्टर या पीडियाट्रिक सर्जन को दिखाना जरूरी होता है। आजकल बच्चों में खाना खाने के बाद उल्टी होने के केस भी काफी बढ़ रहे हैं इसका एक कारण यह भी है कि बच्चे टीवी एवं मोबाइल देखते-देखते अपना भोजन करते हैं इस वजह से वह उस भोजन को सही तरह से चबा नहीं पाते है

सवाल. आपने अपनी एमबीबीएस और मेडिकल फील्ड में स्पेशलाइजेशन की पढ़ाई कहां से पूरी की

जवाब.मैंने अपनी एमबीबीएस और एमएस की पढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर से पूरी की इसके बाद मुंबई के सायन हॉस्पिटल से एमसीएच सुपर स्पेशलिटी पीडियाट्रिक सर्जरी पूरी की। मैने समय-समय पर देश के साथ-साथ विदेश में भी कई फैलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया। इसी के साथ पीडियाट्रिक सर्जरी में होने वाली अलग-अलग प्रकार की ट्रेनिंग में भी हिस्सा लिया अभी वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठित एमवायएच हॉस्पिटल और एमजीएम मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक सर्जन और एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। शहर में कई टिपिकल केस और इमरजेंसी होने पर शहर के अन्य प्राइवेट हॉस्पिटल में भी जाकर वहां अपनी सेवाएं प्रदान करता हूं ।