मुकेश तिवारी
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यह कह रहे हैं उत्तर प्रदेश में 73 नहीं 74 सीटें जीतेंगे। मध्य प्रदेश राजस्थान गुजरात और छत्तीसगढ़ में 2014 की तरह लगभग सारी सीटें जीतने की रणनीति पर संगठनात्मक स्तर पर काम शुरू हो गया हो। इसके बावजूद भाजपा का आलाकमान कहीं ना कहीं शायद शंकित भी है। उसके रणनीतिकारों के दिमाग में यह बात फिट है कि अगर हिंदी भाषी राज्यों से पहले की तरह समर्थन और सीट नहीं मिली तो बहुमत कैसे हासिल होगा?
इसलिए ही भाजपा मिशन भरपाई पर निकली दिख रही है। इस मिशन में उसका सबसे ज्यादा फोकस पश्चिम बंगाल पर है। लोकसभा की 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल में भाजपा को पहले की तुलना में बहुत ज्यादा सीटें और समर्थन मिलने की आस है। वहां से कम से कम आधी सीटें जीतना चाहती है। बंगाल में खूब जोर लगाया जा रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वहां लगातार माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा संगठन भी ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस से खूब दो-दो हाथ कर रहा है।
बंगाल के अलावा उड़ीसा पर भी भाजपा की बराबर नजर बनी हुई है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का चेहरा आगे कर कर भाजपा वहां मोर्चा संभाले हुए है। प्रधानमंत्री मोदी सहित कई बड़े नेताओं के कार्यक्रम भी लगातार वहां हो रहे हैं। उड़ीसा में फिलहाल बीजू जनता दल की सरकार है और नवीन पटनायक वहां लंबे समय से मुख्यमंत्री हैं।
बंगाल और उड़ीसा में विधानसभा का चुनाव भी होना है। इन दोनों ही राज्यों से लोकसभा में ज्यादा सीटें जीतने की मंशा रखने वाली भाजपा के मन में यहां असम और त्रिपुरा की तरह सत्ता में आने की लालसा भी है। महाराष्ट्र में भी अपने दम पर भाजपा पहले की तुलना में ज्यादा सीटें जीतना चाहती है और दक्षिण भारत में कर्नाटक के अलावा तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से भी कुछ ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रही है। उत्तर पूर्व के छोटे राज्यों की सारी सीटें जीतने की रणनीति बनाकर भी भाजपा चल रही है। एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हिंदी भाषी राज्यों में अगर कहीं थोड़ा घाटा हुआ भी तो उसकी पूर्ति पूर्व, उत्तर पूर्व और दक्षिण के राज्यों से करने की रणनीति पर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद तेजी से काम किया जा रहा है।
लेखक घमासान डॉट कॉम के संपादक हैं।
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