महेश्वर किला : अहिल्याबाई होलकर किले की बनाई इकोफ्रेंडली झांकी, कचरे से कला को उकेरा

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देवी अहिल्याबाई होलकर किले की इकोफ्रेंडली झांकी बनाई। पर्यवारण को ध्यान में रखते हुए इसमे किसी प्रकार के हानिकार पदार्थो का उपयोग नहीं किया गया हैं। यह किला 18 वीं सदी में होलकर राजवंश के द्वारा बनवाया गया था। जो मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर महेश्वर में नर्मदा तट के किनारे स्थित है। किलें की झांकी बनाने में पैकेजिंग मटेरियल के कार्डबोर्ड का उपयोग किया गया है। झांकी पूर्णतया इकोफ्रेंडली है। नाव आदि वस्तुएं रंगीन कागज़ से बनाई गई है।

लोकमाता के नाम से हुई प्रसिद्ध

देवी अहिल्याबाई होलकर अपने सम्पूर्ण जीवन काल मे न्यायप्रियता, सुशासन एवं पुण्य कर्मों के कारण ‘लोकमाता’ के नाम से प्रसिद्ध हुई। “आसेतु हिमाचल” अर्थात रामेश्वरम के राम सेतु से हिमालय के केदारनाथ तक उन्होंने देशभर में अनेकों धार्मिक स्थलों का पुनरुद्धार किया। हाल ही में काशी कॉरिडोर में प्रधानमंत्री द्वारा उनकी मूर्ति स्थापित की गई।

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उन्होंने सुंदर बनवाया घाट

प्राचीन काल मे ‘महिष्मति’ नाम से प्रसिद्ध नगरी 18वीं सदी में महेश्वर नाम से होलकर राजवंश की राजधानी रही। मध्य प्रदेश के महेश्वर में स्थित यह सुंदर घाट महान शिवभक्तिनी देवी अहिल्याबाई होलकर द्वारा 18वीं सदी में बनवाया गया।

गौरतलब है कि, नर्मदा किनारे स्थित महेश्वर अहिल्यबाई के किले पर देश विदेश के लोग घुमने आते हैं। यहां पर उनकी राज गद्दी, उस समय के हथियार और कई सोने चांदी के हिरे जेवरातो से बने मूर्तीयां देखनो को मिलती है। पिछले कुछ सालों से कई फिल्म और नटको का मंचना भी किया गया हैं। किला निमाड़ क्षेत्र के महेश्वर तहसिल में बना हुआ है।