गणेश चतुर्थी विशेष: गणपति स्थापना मुहूर्त के साथ जानें गणेश जी के पूजन विधि

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10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी से हो जाती है. हर घर में बप्पा विराजमान होते है,जगह-जगह गजानन के आगमन के लिए झांकियां सजाई जाती है. साल में हर महीने दो चतुर्थी तिथि आती है. कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, वहीं शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी आती है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आने वाली गणेश चतुर्थी (विनायक चतुर्थी) बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है.

शुभ मुहूर्त

भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शुरू – 30 अगस्त 2022, दोपहर 3.33 मिनट से भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि खत्म – 31 अगस्त 2022, दोपहर 3.22 मिनट तक

गणेश जी स्थापना मुहूर्त – 11.05 AM – 1.38 PM (31 अगस्त 2022, बुधवार)

विजय मुहूर्त – दोपहर 2.34 – 3.25 (31 अगस्त 2022)

अमृत काल मुहूर्त – शाम 5.42 – 7.20 (31 अगस्त 2022)

गोधूलि मुहूर्त – शाम 6.36 – 7.00 (31 अगस्त 2022)

 

इस साल गणपति जी तीन बेहद शुभ योग में पधार रहे हैं. गणेश चतुर्थी रवि, ब्रह्म और शुक्ल योग का संयोग बन रहा है. साथ ही इस दिन बुधवार होने से गणपति का जन्मोत्सव बेहद खास होगा.

रवि योग – 31 अगस्त 2022, 06.06 AM – 1 सितंबर 2022, 12.12 AM

शुक्ल योग – 31 अगस्त 2022, 12.05 AM – 10:48 PM

ब्रह्म योग – 31 अगस्त 2022, 10.48 PM – 1 सितंबर 2022, 09.12 PM

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

इस साल अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022, शुक्रवार को है.मान्यता के अनुसार इस दिन विधि विधान से पूजन कर बप्पा का विसर्जन किया जाता है. गणेश चतुर्थी पर मिट्‌टी से बने गणेश जी की घर, मंदिरों में स्थापना की जाती है. भक्त 10 दिन तक गणपति का पूजन, कीर्तन करते हैं. महाराष्ट्र में ये त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. फिर अनंत चतुर्दशी पर बप्पा का विसर्जन कर उन्हें विदाई दी जाती है. इस दिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद में आने वाले गणेश चतुर्थी को गणपति के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. 10 दिन तक चलने वाला ये उत्सव गणेश चतुर्थी पर गौरी पुत्र गणेश के आगमन से शुरू होता है, जिसका समापन अनंत चतुर्दर्शी को किया जाता है.

क्यों मनाते है गणेश उत्सव ? 

पौराणिक कथा के अनुसार भादो की गणेश चतुर्थी पर महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना के लिए गणेश जी का आह्वान किया था और उनसे महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की. मान्यता के अनुसार इसी दिन व्यास जी ने श्लोक बोलना और गणपति जी ने महाभारत को लिपिबद्ध करना शुरू किया था. 10 दिन तक बिना रूके गणपति ने लेखन कार्य किया. इस दौरान गणेश जी पर धूल मिट्‌टी की परत जम गई. 10 दिन बाद यानी की अनंत चतुर्दशी पर बप्पा ने सरस्वती नदी में कर खुद को स्वच्छ किया. तब से ही हर साल 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है.

गणेश चतुर्थी महत्व 

सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं में भगवान गजानन को प्रथम पूजनीय माना गया है. गणेश चतुर्थी पर रिद्धी सिद्धि के दाता गणपति की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. जो गणेश चतुर्थी पर बप्पा की स्थापना करता है और 10 दिन तक विधि विधान से पूजा, सेवा करता है उसके सारे कष्ट गणपति जी हर लेते हैं. गणेश चतुर्थी व्रत के प्रभाव से संतान सुख प्राप्त होता है. साथ ही बुद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.